चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग 19-21 मई 2013 को अपने तीन-दिवसीय भारत दौरे के दौरान 20 मई 2013 को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. दोनो देशों के बीच आठ प्रमुख मुद्दों पर करार किये गए.
दोनों देशों में इस बात पर सहमति बनी कि निष्पक्ष, यथोचित और परस्पर स्वीकार्य सीमा समझौते का एक प्रारूप तैयार हो ताकि सीमाओं को लेकर हो संघर्षों पर विराम लग सके. दोनो देशों के बीच व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए वर्ष 2015 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आपसी प्रयासों को लेकर सहमति हुई.
चीन के प्रधानमंत्री के भारत दौरे के दौरान निम्नलिखित आठ करार हुए
1. ब्रम्हपुत्र नदी के जल-स्तर, पानी छोड़े जाने एवं बारिश की सूचना प्रत्येक वर्ष 1 जून से 15 अक्टूबर के बीच दिन में दो बार भारत को देगा.
2. व्यापार उन्नयन के लिए तीन कार्य समूहों – सेवा व्यापार संवर्धन कार्य समूह, आर्थिक एवं व्यापार योजना सहयोग समूह और व्यापार सांख्यिकी विश्लेषण समूह के गठन पर सहमति.
3. कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए सेवाओं में सुधार उन्हें लोकल मोबाइल सिम मुहैया कराए जाएंगे.
4. सिंचाई में पानी के बेहतर इस्तेमाल के क्षेत्र में सहयोग के लिए जल संसाधन मंत्रालय तथा चीन के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग के बीच सहमति.
5. दोनो देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच कुछ राज्यों एवं शहरों के बीच सहयोग एवं संपर्क पर सहमति.
6. नगरीय क्षेत्रों में सीवेज ट्रीटमेंट को बेहतर बनाने के लिए शहरी विकास तथा चीन के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग के बीच सहमति.
7. भैंस के मांस एवं मछली उत्पादों, चारा और समुद्री उत्पादों के आयात-निर्यात को बढ़ाया जाएगा.
8. भारत एवं चीन की उत्कृष्ट 25 पुस्तकों का प्रत्येक पांच वर्षों में अनुवाद और प्रकाशन के लिए सहयोग पर सहमति.
भारत-चीन सीमा विवाद
भारत और चीन के बीच सीमाओं को लेकर विवाद भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य या चीन के ज़िनजियांग राज्य के पश्चिमी हिस्से में मौजूद अक्साई चीन नामक क्षेत्र और पूर्व में मैकमोहन रेखा के दक्षिण में स्थित क्षेत्र को लेकर है. मैकमोहन रेखा पश्चिम में भूटान से 890 किमी से लेकर पूर्व में ब्रम्हपुत्र नदी से 260 किमी पूर्व तक फैली हुई है. दोनो देशों के बीच अक्साई चीन एवं मैकमोहन रेखा के हिस्से को लेकर 1962 में इसी क्षेत्र में युद्ध लड़ा गया था. इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनो देशों के बीच 1996 में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (मैककार्टनी-मैकडोनाल्ड लाइन-4057 किमी लंबी) निर्धारित की गई लेकिन वर्ष 2006 में चीन के तत्कालीन राजदूत ने अरूणांचल प्रदेश को चीनी क्षेत्र का हिस्सा करार दिया जिसके बाद से इस क्षेत्र में सैन्य तैनाती और सिक्किम में चीनी सेना के द्वारा घुसपैठ की घटनाएं होती रही हैं. वर्ष 2009 में भारत सरकार में इस हिस्से में अतिरिक्त सेना की तैनाती के आदेश दिए.
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