केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने सीमा शुल्क अधिकारियों को जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए जल्दी मंजूरी प्रदान करने का निर्देश दिया. साथ ही सीमा शुल्क विभाग को निर्देश दिया गया है कि इनकी नियमित जांच विशेष परिस्थितियों में ही की जाए. विशेष सूचना के आधार पर भी जांच संबद्ध सहायक आयुक्त या उपायुक्त (सीमा शुल्क) की अनुमति से ही हो. यह निर्देश वाणिज्य संबंधी संसद की स्थायी समिति के सुझाव के बाद जारी किया गया.
वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान भारत ने 4801 करोड़ रुपए की फल-सब्जियों का निर्यात किया. इस अवधि में 365.32 करोड़ रुपए के फूलों का निर्यात किया गया.
सीमा शुल्क कानून के उल्लंघन की स्थिति में आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जानी है, लेकिन ऐसी स्थिति में भी यह सुनिश्चित किया जाना है कि ऐसे माल से जुड़े मामलों की जांच इस तरह की जाए कि बंदरगाह या हवाई अड्डों पर इन्हें अनावश्यक नहीं रोका जाए.
इसके अलावा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सीबीईसी ने देश भर के हवाई अड्डे के सभी माल परिसरों में जल्दी खराब होने वाले कृषि निर्यात उत्पादों की खेप के लिए 24 घंटे सीमा शुल्क मंजूरी देने की सुविधा प्रदान करने का निर्णय किया है. देश से निर्यातित फलों में सबसे अधिक योगदान आम, अंगूर, केले, अनार का है, जबकि सब्जी की श्रेणी में सबसे अधिक निर्यात प्याज, भिंडी, करेला, मिर्च, मशरूम और आलू का होता है. भारत से सबसे अधिक फल-सब्जी का निर्यात बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान, मलयेशिया, श्रीलंका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और नेपाल को होता है, जबकि फूलों का ज्यादातर निर्यात अमेरिका, जर्मनी, हालैंड, ब्रिटेन, जापान, कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात को होता है.
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