त्रिपुरा विधान सभा द्वारा 7 अगस्त 2015 को मृत्यु दण्ड के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया.
विधायक जितेन्द्र सरकार ने विधान सभा में एक संकल्प प्रस्ताव के जरिये भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 में संशोधन करने और मृत्यु दंड को आजीवन कारावास की सजा में बदलने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया.
वस्तुतः यह प्रस्ताव 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के आरोपी याकूब मेमन की फांसी की सजा के विरोध के क्रम में पारित किया गया है.
अब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार तथा विधि आयोग को इस पर विचार करने हेतु भेजा जएगा.
भारत में सर्वोच्च नयायालय के निर्देशानुसार आत्यन्तिक दुर्लभ मामलों (rarest of the rare case) में मृत्यु दण्ड देने का प्राविधान है और संविधान के अनुच्छेद 72 के अनुसार राष्ट्रपति को इस सन्दर्भ में मृत्यु दण्ड की सजा में परिवर्तन तथा क्षमा दान की शक्ति प्राप्त है.
2013 में 72 लोगों को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई और लगभग 400 मामलों में मृत्यु दंड की सजा के प्रावधान की संभावना थी.
पूरे विश्व में लगभग दो तिहाई देशों ने पूर्ण रूप से मृत्यु दंड की सजा को समाप्त कर दिया है
विश्व के 97 राष्ट्रों ने किसी भी प्रकार के अपराध हेतु मृत्यु दण्ड की सजा को समाप्त कर दिया है.
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