पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए, Pension Fund Regulatory and Development Authority, PFRDA) ने सरकारी पेंशन कोष के माध्यम से ऋण प्रतिभूतियों में किये जाने वाले निवेश संबंधी नियमों के कुछ बदलाव किये हैं. पीएफआरडीए के द्वारा इस संबंध में 15 अक्टूबर 2013 को अधिसूचना जारी की गयी.
पीएफआरडीए सरकारी पेंशन कोष के द्वारा किये जाने वाले ऋण प्रतिभूतियों में निवेश हेतु जारी नई नियमावली में कहा है कि सभी पेंशन कोंषों के द्वारा ऋण प्रतिभूतियों में निवेश की परिपक्वता अवधि न्यूनतम तीन वर्ष होनी चाहिए जो कि निवेश की तिथि से गणना की जानी है. साथी इन प्रतिभूतियों की चयन हेतु न्यूनतम दो साख एजेंसियों की रेंटिग रिपोर्ट लेना आवश्यक है.
वर्तमान में सरकारी पेंशन कोष के निवेश हेतु तीन कोष प्रबंधक सरकार द्वारा चयनित हैं- एलआईसी पेंशन फंड लिमिटेड, एसबीआई पेंशन फंड प्राइवेट लिमिटेड तथा यूटीआई रिटायरमेंट सोल्यूशंस लिमिटेड.
आमतौर पर सरकारी पेंशन कोष निवेश की प्रवृत्तियों को एनपीएस लाइट तथा निजी क्षेत्र की योजनाओं में पालन किया जाता है इसलिए सरकारी पेंशन कोष के निवेश संबंधित किसी भी नियम में बदलाव को अन्य योजनाओं में भी लागू किया जाना है.
पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority, PFRDA)
पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण विधेयक-2011 को 4 सितम्बर 2013 को और राज्यसभा ने 6 सितम्बर 2013 को पारित किया था जबकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे 19 सितम्बर 2013 को मंजूरी प्रदान की थी जिसके पश्चात यह पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2013 बन गया.
पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2013 के लागू हो जाने के बाद पीएफआरडीए एक वैधानिक संस्था बन गयी है. पहले यह एक गैर वैधानिक संस्था थी. इस अधिनियम के लागू हो जाने से पीएफआरडीए को नयी पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के नियमन का अधिकार मिल गया है. नई पेंशन प्रणाली धन अर्जन के साथ धन बचत के सिद्धांत पर आधारित है. यह विशेष रूप से अवकाश प्राप्ति के लिए है और उनके लिए जिनकी नियमित आय है.
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