प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय बाल नीति-2012 को 19 अप्रैल 2013 को मंजूरी प्रदान की. इस नीति से देश में सभी बच्चों के अधिकारों को व्यावहारिक रूप देने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दोहरे गया है. इसमें 18 वर्ष से कम आयु के हर व्यक्ति को बच्चा माना गया है और बचपन को पूरा महत्त्व देने के साथ जीवन का आतंरिक अंग माना गया है.
इसमें यह स्वीकार किया गया है कि बच्चों के सुव्यवस्थित विकास और संरक्षण के लिए दीर्घावधि, टिकाऊ, बहु-क्षेत्रीय, एकीकृत और समावेशी दृष्टिकोण आवश्यक है. इस नीति में ऐसे मार्गदर्शक सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं जिनका बच्चों को प्रभावित करने वाले कार्यों और प्रयासों में राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय सरकारों को आदर करना चाहिए.
बच्चों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मार्गदर्शक सिद्धांत: हर बच्चे के लिए जीवन, जीवित रहने, विकास, शिक्षा, संरक्षण और भागीदारी का अधिकार, बिना किसी भेदभाव के सभी बच्चों के लिए समान अधिकार, बच्चों को प्रभावित करने वाले सभी कार्यों और निर्णयों में प्रारंभिक आवश्यकता के रूप में बच्चों का बेहतरीन हित तथा बच्चों के चहुंमुखी विकास के लिए सबसे अनुकूल बात के रूप में पारिवारिक माहौल. इस नीति में जिंदा रहने, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, विकास, संरक्षण और भागीदारी को हर बच्चे के लिए ऐसा अधिकार माना गया है जिससे कोई इन्कार नहीं कर सकता तथा ये प्राथमिकता वाले क्षेत्र भी घोषित किए गए हैं.
राष्ट्रीय बाल नीति-2012 का उद्देश्य:
बच्चों के लिए बहु-क्षेत्रीय, परस्पर-जुड़ी और सामूहिक कार्रवाई की जरूरत है इसलिए इस नीति का उद्देश्य प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों और स्तरों में उद्देश्यपूर्ण रूपांतरण एवं सशक्त समन्वय, सभी हितधारकों के साथ सक्रिय संलग्नता और भगीदारी, व्यापक एवं विश्वसनीय ज्ञान आधार की स्थापना, पर्याप्त संसाधनों का प्रावधान तथा बच्चों के लिए एवं बच्चों के साथ काम करने वाले सभी लोगों को पूरी जानकारी उपलब्ध कराना एवं उनकी क्षमता का विकास करना है.
इस नीति को लागू करने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना विकसित की जाएगी. इस नीति को लागू करने की प्रगति की निगरानी के लिए राष्ट्रीय समन्वय एवं कार्रवाई समूह बनाया जाएगा. राज्य एवं जिला स्तर भी ऐसी ही योजनाएं और समन्वय एवं कार्रवाई समूह बनाए जाएंगे. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर स्तर पर सभी क्षेत्रों में इस नीति के सिद्धांतों का आदर किया जाए. हर पांच वर्ष में इस नीति की समीक्षा का भी प्रावधान किया गया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस नीति के अवलोकन और कार्यान्वयन में समन्वय करने के लिए नोडल मंत्रालय होगा तथा समीक्षा प्रक्रिया का नेतृत्व करेगा.
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