भारत में गंभीर भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या वर्ष 2011-13 में 6.5 प्रतिशत घटकर 21.38 करोड़ रह गई. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी की एक संयुक्त रिपोर्ट में 6 अक्टूबर 2013 को दी गई. एफएओ की रिपोर्ट के अनुसार यदि खाद्य सुरक्षा कानून का अगर प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन हुआ तो यह संख्या और कम हो सकती है.
यह रिपोर्ट खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की एक संयुक्त रिपोर्ट है.
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2008-10 के दौरान देश में करीब 22.86 करोड़ लोग कुपोषित थे. वैश्विक स्तर पर प्रगति के बावजूद, विकासशील देशों में भोजन से वंचित लोगों की संख्या काफी अधिक है. एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2011-13 में 84.2 करोड़ लोग भयंकर भूख की चपेट में थे जिनके पास सक्रिय और स्वस्थ्य जीवन के लिए पर्याप्त भोजन नहीं था. यह संख्या वर्ष 2008- 10 के स्तर से चार प्रतिशत की कमी हुई है.
विश्व में कुपोषित लोगों की सबसे अधिक संख्या दक्षिणी एशिया में पाई जाती है. जिसके बाद उप सहारा अफ्रीका और पूर्वी एशिया आते हैं.
एफएओ की रिपोर्ट के अनुसार गरीब देशों में भूख व गरीबी का उन्मूलन टिकाऊ वृद्धि से प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए यह भी जरूरी है कि वृद्धि का लाभ सभी तक पहुंचे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर विकासशील देशों ने वर्ष 2015 तक भूख से पीड़ित लोगों की संख्या कम करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति की है.
विदित हो कि भारत गेंहू और चावल उत्पादन करने वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है. फसल वर्ष 2012-13 (जुलाई से जून) में भारत में चावल और गेहूं का उत्पादन क्रमशः 104.40 मिलियन टन और 92.46 मिलियन टन हुआ.
खाद्य एवं कृषि संगठन
खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना 16 अक्टूबर 1945 को कनाडा के क्यूबेक शहर में हुई थी. वर्ष 1951 में इसका मुख्यालय वाशिंग्टन से रोम स्थानांतरित किया गया. वर्तमान में 191 राष्ट्र इसके सदस्य हैं, जिसमें यूरोपियाई समुदाय एवं फैरो द्वीपसमूह भी सम्मिलित हैं, जो एसोसियेट सदस्य हैं. यह संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशिष्ट संस्था है, और उसी के अन्तर्गत्त कार्य करता है. इसकी बैठक द्विवार्षिक होती है, जिसमें पिछले दो वर्ष में किये गए कार्यो की समीक्षा और आगामी दो वर्षो के लिए बजट पारित किया जाता है.
खाद्य और कृषि संगठन को पोषण के स्तर तथा जीवन स्तर में सुधार लाने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और ग्रामीण लोगों के हालात बेहतर बनाने का अधिदेश दिया गया था.
विश्लेषण
भारत में खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर दिया गया है. इस क़ानून से इसमें और कमी आने की संभावना है.
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