केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के लिए दिशानिर्देशों के रूप में व्यापक विनियामक व्यवस्था तैयार करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रस्ताव को 9 जनवरी 2014 को मंजूरी दी. इसका उद्देश्य टीआरपी में पारदर्शिता लाना है. इन दिशानिर्देशों में रेटिंग एजेंसियों के लिए विस्तृत प्रक्रियाएं, पात्रता मानदंड, पंजीकरण के नियम एवं शर्तों, क्रास-होल्डिंग, दर्शकों का अनुमान लगाने की विधि, शिकायत निवारण प्रणाली, रेटिंग की बिक्री और उपयोग, लेखा परीक्षा, प्रकटन, रिपोर्टिंग की जरूरतों और दिशानिर्देशों का पालन न करने पर कार्रवाई इत्यादि शामिल हैं.
टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के लिए व्यापक नीतिगत दिशानिर्देश भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों के आधार पर तैयार किए गए जो उसने 11 सितंबर 2013 को दी थीं.
दिशानिर्देश के मुख्य बिंदु
• इस दिशानिर्देश में रेटिंग एजेंसियों सहित सभी रेटिंग एजेंसियों को केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास पंजीकरण कराने का प्रावधान है.
• दिशा-निर्देशों के अनुसार रेटिंग में प्रौद्योगिकी से प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए और इनमें केबल टीवी, डीटीएच आदि सभी तरह के प्लेटफॉर्म से आंकड़े लिए जाएंगे.
• दिशा-निर्देशों के अनुसार दर्शकों की संख्या मापने के लिए पैनल वाले घरों को उन घरों के पूल में से छांटा जाएगा जो एक सर्वेक्षण के जरिए चुने गए.
• दिशा-निर्देश प्रभाव में आने के छह महीने के भीतर 20,000 के न्यूनतम पैनल को लागू किए जाने का प्रावधान.
• प्रतिवर्ष पैनल का आकार 10,000 के साथ बढ़ाया जाएगा और इसे 50,000 तक पहुंचाया जाएगा.
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