ग्लोबल एलाइंस फॉर टीबी ड्रग डेवलपमेंट (Global Alliance for TB Drug Development) द्वारा एक रिपोर्ट 6 मई 2011 को जारी की गई. ग्लोबल एलाइंस फॉर टीबी ड्रग डेवलपमेंट(Global Alliance for TB Drug Development) की रिपोर्ट के अनुसार देश में निजी क्षेत्र के 35 प्रतिशत से ज्यादा इलाज राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मानदण्डों के अनुरूप नहीं है. इसके तहत भारत में तपेदिक (टीबी TB) के मरीजों को निर्धारित खुराक की लगभग 60प्रतिशत मात्रा ही दी जा रही है. राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम 2011 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 73000 मरीज ऐसे हैं, जिनमें टीबी दवा का प्रतिरोधक तंत्र विकसित हो गया हैं. इनमें से 70 प्रतिशत मरीजों की उम्र 15 से 54 वर्ष के मध्य है. दो तिहाई टीबी मरीज पुरूष तथा 50 प्रतिशत से अधिक महिला मरीजों की उम्र 34 साल से कम है. टीबी से महिलाओं की अधिक मृत्यु होती है.
देश में निजी क्षेत्र में टीबी के इलाज के लिए दवाओं की 70 प्रकार की खुराकें और मिश्रण प्रचलित हैं, जबकि इनमें से सिर्फ 14 आवश्यक हैं. निजी टीबी दवा बाजार के बारे में एक अध्ययन के अनुसार देश में प्राइवेट डॉक्टरों से टीबी का इलाज करा रहे लोगों में टीबी दवा का प्रतिरोधी तंत्र विकसित होने का खतरा ज्यादा है, जिससे मरीजों पर टीबी की दवाओं का असर नहीं होता.
भारत में टीबी दवा का निजी बाजार सबसे बड़ा है और इससे 20 लाख से ज्यादा मरीजों का इलाज होता है.
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