भारत एवं पाकिस्तान ने 9 दिसंबर 2015 को 8 सूत्रीय समग्र वार्ता को 10 सूत्रीय व्यापक द्विपक्षीय (सीबीडी) वार्ता से बदलने पर सहमति जताई.
यह निर्णय इस्लामाबाद में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश सचिव सरताज अज़ीज़ के बीच बैठक के बाद जारी किया गया.
व्यापक द्विपक्षीय वार्ता के अंतर्गत शामिल मुद्दे
1. शांति एवं सुरक्षा, विश्वास बहाली के उपाय
2. जम्मू एवं कश्मीर
3. सियाचिन
4. सर क्रीक
5. वुल्लर बैराज/तुलबुल परियोजना
6. आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग
7. आतंकवाद का मुकाबला एवं ड्रग्स के प्रसार पर नियंत्रण
8. मानवीय मुद्दे
9. लोगों का अवागमन
10. धार्मिक पर्यटन
पिछले आठ मुद्दों में मानवीय मुद्दे एवं धार्मिक पर्यटन को जोड़ा गया है ताकि शांति बहाली एवं सौहार्द को बढ़ाया जा सके.
इनके अतिरिक्त द्विपक्षीय वार्ता में शामिल मुद्दे हैं :
• दोनों देशों के सुरक्षा सचिवों को आतंकवाद पर बातचीत करनी चाहिए, पहली बार एनएसए द्वारा आतंकवाद के मुद्दे पर बात की गयी.
• पाकिस्तान द्वारा मुंबई हमलों के आरोपियों पर सुनवाई तेज़ करने का आश्वासन.
• निश्चित समय सीमा में सचिव स्तर की वार्ता करना.
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2016 में सार्क सम्मेलन हेतु पाकिस्तान यात्रा.
व्यापक द्विपक्षीय वार्ता
इसका आरंभ मई 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ द्वारा किया गया था.
इसे समझौते का नाम दिया गया तथा इसमें वर्ष 1947 में हुए विभाजन के उपरांत सभी मुद्दों को शामिल किये जाने का प्रयास किया गया.
जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे को शामिल किये जाने से इस वार्ता को बल मिला लेकिन 26 नवम्बर 2008 को मुंबई में पाकिस्तान के लश्करे-तैबा समूह के 10 अतंकवादियों द्वारा हमले से यह वार्ता स्थगित हो गयी थी.
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