मराठी साहित्यकार भालचंद्र नेमाडे को 25 अप्रैल 2015 को वर्ष 2014 के 50वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुरस्कार के रूप में उन्हें 11 लाख रुपये, एक प्रशस्ति पत्र पट्टिका और सरस्वती की कांस्य प्रतिकृति भेंट की. 1963 में उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास कोसाला को मराठी साहित्य के मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता है.
भालचंद्र नेमाडे के बारे में
• उनका जन्म महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में 1938 में हुआ था.
• उन्होंने फर्ग्युसन कॉलेज, पुणे से अपनी स्नातक की उपाधि तथा पीएचडी और डीलिट की उपाधि महाराष्ट्र विश्वविद्यालय से प्राप्त की.
• उन्होंने लंदन में ओरिएंटल और अफ्रीकी अध्ययन के स्कूलों सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी, मराठी, और साहित्य का अध्यापन भी किया. वह मुंबई के जॉर्ज टैगोर विश्वविद्यालय सेवानिवृत्त हुए.
• 1960 के दशक में उन्होंने मराठी पत्रिका वाचा का समपादन भी किया.
• नेमाडे ने कोसला, बिधार, हूल, जरीला, झूल, हिन्दू-जगन्याची समृध आदि उपन्यास लिखे.
भालचंद्र नेमाडे इस सम्मान को प्राप्त करने वाले चौथे मराठी साहित्यकार हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation