महाराष्ट्र सरकार ने 20 अप्रैल 2015 को वर्ष 2019 तक 14400 मेगावाट बिजली उत्पादन के लक्ष्य की घोषणा की.
राज्य सरकार बिजली उत्पादन की लागत को कम करने और कार्बन फुटप्रिंट को घटाने के उद्देश्य से गैर पारंपरिक तरीकों से वर्ष 2019 तक 14,400 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगी. ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत सस्ते और परंपरागत स्रोतों की तुलना में कहीं बेहतर है.
राज्य सरकार सौर ऊर्जा से 75000 मेगावॉट और पवन चक्कियों से 5000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन करेगी.
चीनी उद्योग 1,000 मेगावॉट, सहनिर्माण से 200 मेगावॉट, बायोगैस से 300 मेगावॉट बिजली और औद्योगिक अपशिष्ट से 400 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाएगा.
इन स्रोतों का इस्तेमाल इनकी उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा. उदाहरण के लिए, पश्चिमी महाराष्ट्र में कई चीनी मिल हैं. इसलिए उस क्षेत्र से 1,000 मेगावॉट बिजली का निर्माण होगा. इसके अलावा लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार निजी कंपनियों द्वारा उत्पन्न बिजली को खरीदेगी.
बिजली चोरी पर रोक लगाने और इसका सीधे ग्राहकों तक पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए विशेष स्थानों पर फीडर प्रबंधक लगाये जाएंगे. हर तय स्थान पर पांच फीडर लगाये जाएंगे.

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