रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 9 नवम्बर 2015 को भारतीय सेना के केंद्रीय डाटा केंद्र, सेना क्लाउड और डिजी लॉकर सुविधाओं का शुभारंभ किया.
यह दस्तावेजों के त्वरित प्रयोग, सूचना और सेवाओं की तेज गति से डिलीवरी में सहायक होगा. सेना क्लाउड के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं में शामिल हैं - केंद्रीय आंकड़ा केंद्र और नीयर लाइन डेटा सेंटर, यह दोनों केंद्र दिल्ली में स्थापित होंगे.
इसके अतिरिक्त आपदा से होने वाली भरपाई के लिए महत्वंपूर्ण आंकड़े जुटाने के लिए विजुअल सर्वरों और स्टोरेज की भी व्यवस्था रहेगी. यह राष्ट्रीय सूचना केंद्र - एनआईसी के मेघराज जैसा होगा तथा यह भारतीय सेना के लिए सभी सूचना प्रौद्योगिकी सुलभ करायेगा.
इस क्षेत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकियां पहली बार सॉफ्टवेयर डेटा सेंटर लागू होने के साथ ही काम करने लगेंगी, जहां सभी संसाधनों को एक बटन दबाते ही क्लाउड के तहत जुड़े विभिन्न एप्लीलकेशंस के तहत संचालित किया जा सकेगा. यह सेवा पहले ही बुनियादी ढांचे मुहैया कराकर पहली क्लाउड सर्विस के रूप में सेवा आरंभ कर चुकी है.
डिजी लॉकर के शुरू होने से महत्वपूर्ण डेटा नेटवर्क सैन्य मुख्यालय की सभी इकाइयों और सूचना केंद्रों को आंकड़े भंडारण की सुरक्षित सुविधा उपलब्ध् हो सकेगी. भारतीय सेना की डिजी लॉकर डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के ई-लॉकर जैसी होगी और इसमें डिजिटल हस्ताक्षर और वाटर मार्किंग जैसी उन्नत विशिष्टताएं भी शामिल रहेंगी.
यह साइबर सुरक्षा को लागू करने की दिशा में महत्वरपूर्ण कदम है, जिसमें सीडी/डीवीडी की सॉफ्ट प्रतियां मौजूद रहेंगी और इन्हें किसी भी जगह ले जाया जा सकेगा. डेटा नेटवर्क पर कहीं से भी किसी भी समय इन आंकड़ों को हासिल, वितरण और भंडारण किया जा सकता है. इसके लिए बुनियादी ढांचे और प्लेटफॉर्म की डिजिटल स्वचालित सेवा भी उपलब्ध रहेगी जो सेना की सभी शाखाओें में उपलब्ध कराई जाएगी.
डिजिटल व्यवस्था आने से भारतीय सेना को नौ तरह की प्रौद्योगिकी सुविधा मिल जाएगी, जिनमें तीन अंब्रेला प्रोग्राम के तहत आएंगी. यह प्रोग्राम हैं - ब्रॉडबैंड हाइवेज, युनिवर्सल एक्सेास टेलीफोन और आर्मी डेटा नेटवर्क.
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