वर्ष 2011– 12 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का वृद्धि दर 6.2 फीसदी से संशोधित कर 7 फीसदी करने का निर्णय लिया गया. इसका कारण दोषपूर्ण डेटा को सही करना है. इससे पहले औद्योगिक उत्पादन को 7 फीसदी अंक से कम करके आंका गया था.
7 फीसदी अंक से जीडीपी वृद्धि दर को कम कर आंकना वास्तविक फैक्ट्री उत्पादन वृद्धि को इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन डेटा (आईआईपी) में कम कर आंकने की वजह से हुआ था. आईआईपी डेटा ने वर्ष 2011– 12 के लिए वास्तविक फैक्ट्री उत्पादन वृद्धि को 2.9 फीसदी कम आंका था.
हालांकि एनुअल सर्वे ऑफ इंडस्ट्रीज (एएसआई) के अधिक विश्वसनीय आंकड़ों के अनुसार 2011– 12 में औद्योगिक उत्पादन में 23.6 फीसदी के नाममात्र और वास्तव में 15 से 16 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
एएसआई डेटा को आईआईपी डेटा के मुकाबले अधिक व्यापक और सटीक माना जाता है. यह 20 माह के अंतराल पर जारी होता है. अंतरिम तौर पर सरकार आईआईपी डेटा का इस्तेमाल कर औद्योगिक उत्पादन का अनुमान लगाती है.
आईआईपी लगातार भारत के औद्योगिक उत्पादन को कम कर आंक रहा है लेकिन समस्या साल 2005– 06 से बढ़ती जा रही है. पिछले कुछ वर्षों में त्रुटियों की वजह से आईआईपी और एएसआई के डेटा में बहुत ज्यादा अंतर पाया जा रहा है.
एक वित्त वर्ष के जीडीपी का डेटा तीन संशोधन दौर से गुजरता है, प्रक्रिया में तीन वर्ष लग जाते हैं. केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) 30 जनवरी 2014 को दूसरा संशोधित अनुमान जारी करेगा. पहला संशोधित अनुमान 2011– 12 के लिए 6.2 फीसदी था.
त्वरित अनुमान के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था 2012– 13 में दशक के सबसे कम विकास दर यानि मात्र 5 फीसदी की दर से बढ़ेगी.
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