विश्व स्वर्ण परिषद ने ‘वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल गोल्ड डिमांड ट्रेंड्स’ रिपोर्ट 20 मई 2014 को जारी की. इसमें जनवरी 2014 से मार्च 2014 ( पहला तिमाही) की अवधि की रिपोर्ट है. रिपोर्ट के अनुसार सोने की मांग पिछले पांच वर्ष में स्थापित हुए लंबी अवधि के तिमाही औसत मांग के रूझान पर वापस आ गया है.
रिपोर्ट की मुख्य बातें
• वर्ष 2014 के पहले तिमाही में सोने की मांग 1074 टन थी जो कि पिछले वर्ष इस अवधि में यह मांग अपरिवर्तित रही.
• वर्ष 2013 के पहले तिमाही की तुलना में वर्ष 2014 के पहले तिमाही में सोने की मांग में 3 फीसदी का इजाफा हुआ है.
• सोने के समग्र निवेश को देखें तो वर्ष 2013 के पहले तिमाही में जहां 288 टन सोने में निवेश किया गया वहीं वर्ष 2014 के पहले तिमाही में इसमें थोड़ी सी कमी देखी गई. इसमें 282 टन सोने में निवेश किया गया है.
• वर्ष 2013 के मुकाबले सोने के सिक्कों और छड़ों की मांग में 39 फीसदी की कमी हुई है.
भारत के संदर्भ में
भारत में सोने के सिक्कों और छड़ों की मांग में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई. मांग में 54 फीसदी की कमी के साथ यह 45 टन रह गया. इसका अर्थ है भारत में सोने की मांग में 26 फीसदी की कमी हुई है. भारत में इस कमी की वजह सोने के आयात पर लगने वाली ड्यूटी और प्रतिबंध हैं जो नकद और अन्य संपत्तियों पर मिलने वाली छूट से प्रभावित होता है.
विश्व स्वर्ण परिषद
विश्व स्वर्ण परिषद सोना उद्योग के लिए बाजार विकास संगठन है. अपने उपायों के जरिए यह संगठन समाज में नई संभावनाए पैदा करता है. सोने के वैश्विक अधिकारी के तौर पर यह इस उद्योग का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है और सोने की मांग को पूरा करने वालों और फैसला लेने वालों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया कराता है.
विश्व स्वर्ण परिषद में निवेश रणनीति के प्रबंधकः मार्कस ग्रुब्ब
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