केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने तीन दशक पुराने जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए, District Rural Development Agency, DRDA) को भंग करने का निर्णय लिया. डीआरडीए अब जिला परिषदों के अधीन काम करेगी.
इस निर्णय के बारे में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने 10 जुलाई 2013 को नई दिल्ली में आयोजित डीआरडीए के परियोजना निदेशकों के एक सम्मेलन के दौरान घोषणा की.
ग्रामीण विकास मंत्रालय के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने वाले जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) का गठन 1980 में किया गया था. गठन के पश्चात से तीन दशकों से अधिक समय तक डीआरडीए ग्रामीण विकास मंत्रालय के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता रहा.
डीआरडीए को भंग करने का निर्णय तिरूवनंथपुरम के सेंटर फॉर मैनेजमेंट डेवेलपमेंट के अवकाश प्राप्त अध्यक्ष वी. रामचंद्रन की अध्यक्षता में गठित समिति के सुझावों के आधार पर लिया गया. यह निर्णय वर्तमान परिदृश्यों में ग्रामीण विकास की चुनौतियों से निपटने के लिए डीआरडीए को अधिक सशक्त एवं पेशेवर बनाने के उद्देश्य से लिया गया.
डीआरडीए को अब एक पेशेवर इकाई, पेशवर कोष्ठ तथा जिला परिषद के एक पेशेवर संभाग के रूप में कार्य करना है. डीआरडीए की सोसाइटी अधिनियम के अनुसार एक स्वतंत्र तथा स्वायत्तशासी स्थिति अब नही होगी.
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