सर्वोच्च न्यायालय ने एन श्रीनिवासन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालने की अनुमति 8 अक्टूबर 2013 को प्रदान की. इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने एन श्रीनिवासन और बीसीसीआई को स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच में हस्तक्षेप न करने का निर्देश भी दिया.
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके पटनायक और न्यायमूर्ति जेएस केहर की पीठ ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच हेतु पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति बनाने का प्रस्ताव 7 अक्टूबर 2013 को किया था. पीठ ने समिति में अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल नागेश्वर राव और असम क्रिकेट संघ के सदस्य निलेय दत्त को शामिल करने का भी प्रस्ताव रखा था. इस समिति को स्वतंत्र जांच करके अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को सौंपनी है. इस समिति द्वारा राजस्थान रॉयल्स टीम के मालिकों के खिलाफ लगे सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों की जांच की जानी है.
विदित हो कि इस घोटाले के सिलसिले में अपने दामाद गुरूनाथ मैयप्पन की गिरफ्तारी के बाद एन श्रीनिवासन अध्यक्ष पद से हट गए थे. बाद में दोबारा अध्यक्ष चुने जाने पर भी सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें कार्यभार संभालने से रोक दिया था. एन श्रीनिवासन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का अध्यक्ष 29 सितम्बर 2013 को चयनित किया गया. वह तीसरी बार बीसीसीआई के अध्यक्ष बने.
एन श्रीनिवासन से संबंधित मुख्य तथ्य
• एन श्रीनिवासन चेन्नई के इंडिया सीमेट्स कंपनी के मालिक हैं.
• इंडिया सीमेट्स कंपनी का टर्न ओवर कुल 3500 करोड़ है. इस कम्पनी की स्थापना वर्ष 1946 में की गई थी. वर्ष 2008 में इस कंपनी ने चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रेंचाइजी खरीदी थी.
• भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष निर्वाचित होने से पहले वह बीसीसीआई के सचिव (वर्ष 2011) थे.
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