सर्वोच्च न्यायालय ने 8.5 अरब डॉलर के केयर्न-वेदांत सौदे को चुनौती देनी वाली याचिका को 9 मई 2013 को खारिज कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और दीपक मिश्र की पीठ ने यह निर्णय दिया.
पीठ के अनुसार केन्द्र और ओएनजीसी ने इस सौदे पर गंभीर विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया है और न्यायालय संबद्ध पक्षों के बीच व्यापारिक निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. इस मामले में कोई असंगत बात नहीं है.
विदित हो कि बंगलौर निवासी अरूण कुमार अग्रवाल की जनहित याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया. इसमें आरोप लगाया गया है कि केयर्न ग्रुप और ओएनजीसी के बीच हुए सौदे की शर्त के अनुसार अगर केयर्न गु्रप, केयर्न इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहेगा तो इसके लिए वह सबसे पहले ओएनजीसी से प्रस्ताव करेगा तथा इस शर्त का ओएनजीसी और केन्द्र ने दावा नहीं किया है. अरूण अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि सम्बद्ध पहलू को ध्यान में रखे बगैर इस सौदे को बाहरी दबाव में अंजाम दिया गया.
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