भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ऋण प्रतिभूतियों को सार्वजनिक करने के लिए दिशा-निर्देश 17 जून 2014 को जारी किए. इसका उद्देश्य ऋण प्रतिभूतियों के पब्लिक इश्यू मानदंडों को सख्त बनाना है.
दिशा-निर्देश
• गैर– बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) और गैर– एनबीएफसी जारीकर्ता दोनों ही के लिए न्यूनतम ऋण प्रतिभूतियां 100 करोड़ रूपए की होगी.
• जारीकर्ता को अतिरिक्त घोषणा करना होगा औऱ उसे इश्यू के आधार का कम–से–कम 75 फीसदी अपने पास रखना होगा.
• अगर जारीकर्ता को न्यूनतम अभिदान नहीं मिलता तो आवेदन की पूरी राशि इश्यू के बंद होन की तारीख के 12 दिनों के भीतर देरी की अवधि के लिए 15 फीसदी की वार्षिक ब्याज दर से वापस करनी होगी.
• आरंभिक जन पेशकश के मामले में सेबी 90 फीसदी की न्यूनतम सदस्यता सीमा निर्धारित करता है.
• गैर– परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) के पब्लिक इश्यू में जारीकर्ता न्यूनतम सब्सक्रिप्शन राशि तय कर सकता है लेकिन इसका खुलासा प्रस्ताव दस्तावेज (ऑफर डॉक्यूमेंट) में करना होगा.
• गैर– परिवर्तनीय शेयरों या डिबेंचरों में निवेश करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफआईआई) को कॉरपोरेट ऋण के लिए बनाई गई 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सीमा में शामिल किए जाएंगे.
• सेबी ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट न्यूनतम सदस्यता सीमा से कर– मुक्त बॉन्ड जारी कर्ताओँ को छूट दी है. इसमें आय के उपयोग की पारदर्शिता बढ़ाने की मांग भी की गई है.
ऋण प्रतिभूतियां
ऋण प्रतिभूतियां सरकार या कॉरपोरेशन द्वारा जारी किए गए बॉन्ड्स में निवेश है. बॉन्ड की खरीद के समय अधिग्रहण लागत ऋण निवेश के रूप में परिसंपत्ति खाते (असेट अकाउंट) में दर्ज किया जाता है. अधिग्रहण लागत में बॉन्ड के लिए बाजार मूल्य के भुगतान और किसी भी निवेश फीस या दलाल का शुल्क शामिल होता है.
डिबेंचर एक तरह का बॉन्ड होता है जो किसी भी संपत्ति या जमानत द्वारा सुरक्षित नहीं होता है. डिबेंचर ज्यातर लंबी अवधि के होते हैं, धारकों के पास जारी करने वाली कंपनी से शेयरों के लिए डिबेंचर के आदान– प्रदान का विकल्प मौजूद होता है. यह दो प्रकार के होते हैं– परिवर्तनीय डिबेंचर और गैर– परिवर्तनीय डिबेंचर.
• परिवर्तनीय डिबेंचर वे होते हैं जो कंपनी शेयरों से बदले जा सकते हैं. गैर– परिवर्तनीय डिबेंचर की तुलना में इसमें आमतौर पर कम ब्याज दर होता है.
• गैर– परिवर्तनीय डिबेंचर कंपनी शेयरों से बदले नहीं जा सकते. इस प्रकार के डिबेंचर में आम तौर पर ब्याज दर अधिक होता है.
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