स्कूल से कॉलेज में जाते ही बहुत सारी चीजें बदल जाती हैं. हम में से अधिकांश लोग पहली बार घर से बाहर निकले हैं और माता पिता से दूर रहने के लिए मजबूर हैं. माता पिता पहली बार बच्चों के अपने से अलग रखने पर बहुत चिंतित रहते हैं और बार बार कॉल करके एक एक पल की जानकारी रखना चाहते हैं. कभी कभी ऐसा होता है कि माता पिता एक छोटी सी बात पर बहुत परेशान न हो जाएं उनसे कुछ चीजें छुपानी पड़ती हैं. वस्तुतः माता पिता अनायास ही परिस्थिति को न समझते हुए परेशान न हो जाएं इसलिए उनसे बहुत सी बातें छुपानी पड़ती हैं.आमतौर पर कॉलेज स्टूडेंट्स किन बातों को अपने माता-पिता से छुपाना चाहते हैं उनका संक्षिप्त वर्णन नीचे किया गया है.
क्लास के बाहर बिताए गए समय के बारे में
क्लास स्टूडेंट्स रात को देर रात पार्टी की वजह से सुबह की दो क्लास मिस कर देते हैं. ऐसी चीजों की स्टूडेंट्स कभी भी अपने माता पिता से शेयर नहीं करना चाहते हैं. शुरूआती दौर में उन्हें लगता है कि उन्हें यह पता है कि कितने क्लास में वे अपना सिलेबस पूरा कर लेंगे ? अगर वे एकाध क्लास मिस भी कर देते हैं तो इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है. लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता है कि परीक्षा में बैठने के लिए आवश्यक अटेंडेंस नहीं होने पर सेमेस्टर के अंत में बहुत मेहनत करनी पड़ती है तब जाकर किसी तरह एग्जाम में बैठने की इजाजत दी जाती है. इतना ही नहीं अटेंडेंस पूरा नहीं होने पर प्रोफ़ेसर इसकी जानकारी माता-पिता तथा अभिभावकों के अवश्य देते हैं.
अतिरिक्त खर्चे
अधिकांश छात्र आवश्यक खर्चो को छोड़कर मौज मस्ती या किसी अन्य कार्य के लिए आवश्यक खर्चों की जानकारी अपने माता पिता को नहीं देते हैं. माता-पिता से जरुरत के लिए प्राप्त पैसों से छात्र एंज्वाय करते हैं. अक्सर छात्र कॉलेज द्वारा इतने पैसे की मांग की गयी है कहकर अपने गार्जियन से पैसे लेते हैं तथा उन पैसों से एन्जॉय करते हुए खूब मौज मस्ती करते हैं या फिर इच्छा के अनुरूप कोई चीज खरीद लेते हैं. कभी कभी हम कम पॉकेट खर्च के कारण मनोरंजन पर किये गए खर्चे को भी अपने माता पिता से नहीं बताना चाहते हैं.
ताउम्र चलने वाली दोस्ती के विचार को मात्र क्लास तक की दोस्ती बताना
कॉलेज में आने के छात्र कभी कभी अपने अन्तरंग मित्रों का भी चयन करते हैं. अर्थात उनके साथ रिलेसनशिप की इच्छा रखते हैं लेकिन ये सारी बाते वे अपने माता पिता को बताना नहीं चाहते हैं. अगर सोशल मीडिया या दोस्तों के मार्फ़त अगर माँ बाप को पता चल भी जाय तो वो सिर्फ यही कहते हैं कि वे सिर्फ एक अच्छे मित्र हैं.
दोस्तों के साथ बाहर जाने वाली ट्रिप को प्रोफ़ेसर के साथ कॉलेज की ट्रिप बताना
अक्सर छात्र इस तरह की गलतियां करते हैं. वे दोस्तों के साथ बाहर जाने के लिए एक ट्रिप का प्लान करते हैं लेकिन माता –पिता को ऐसा बताते हैं कि कॉलेज द्वारा आयोजित ट्रिप में प्रोफ़ेसर के साथ बाहर जा रहे हैं. वास्तविकता का पता तो तब चलता है जब माता पिता प्रोफेसर से बात करते हैं. अतः माता-पिता या अभिभावक को यह सलाह दी जाती है कि ट्रिप सम्बन्धी जानकारी को लेकर हमेशा सजग रहें तथा सही तरीके से छानबीन करें
टेस्ट में कम नंबर आना तथा परीक्षाओं में असफलता
चूँकि अक्सर माता पिता टेस्ट या परीक्षाओं के विषय में पूछते रहते हैं जिससे बच्चों को स्ट्रेस फील होता है. इसलिए वे इससे बचने के लिए अक्सर वे अपने माता पिता को इस विषय में गलत सूचना देते हैं या फिर इस बात को छिपाते हैं कि कब परीक्षा होने वाली है ?
छुट्टियों के बारे में सही नहीं बताना
कभी कभी कुछ छात्र शरारत वश कॉलेज में छुट्टी होने के बावजूद अभिभावक या माता पिता को सही जानकारी नहीं देते हुए लेक्चर के बहाने से घर से बाहर जाकर दोस्तों के साथ मौज मस्ती करते हैं. जो लोग घर से बहुत दूर रहते हैं वे वे छुट्टियों की शुरुआत तथा समाप्ति के दिन को कुछ हद तक गलत बताते हैं ताकि वे कुछ दिन अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती कर सकें.
अपने रूममेट का फोन नंबर
हर माँ बाप अपने बच्चों के विषय में पूरी जानकारी रखना चाहते हैं. इसलिए कभी कभी वे अपने बच्चों के रूममेट से भी बात कर जानकारी हासिल करना चाहते हैं. चूँकि वे जो बात बच्चे अपने माता पिता को नहीं बताना चाहते हैं उस बात की जानकारी कहीं वे उनके रूममेट से हासिल न कर लें इस भय से अक्सर छात्र अपने रूम मेट का नंबर अपने माता पिता को नहीं बताते हैं.
खाने या नाश्ते के विषय में गलत जानकारी देना
लगभग सभी छात्र अपने खाने या नाश्ते के बारे में अमूमन गलत जानकरी अपने माता पिता को देते हैं. चूँकि हर माता-पिता अपने बच्चे के खाने को लेकर बहुत चिंतित होते हैं और इसलिए इस विषय में बार बार सवाल करते हैं. इन सवालों से बचने के लिए छात्र अक्सर झूठ बोलते हैं और जब उनसे पूछा जाता है कि खाना खा लिया तो वे नहीं खाने के बावजूद भी सीधे सीधे यह कह देते हैं कि हाँ खा लिया.
निष्कर्ष
वस्तुतः कॉलेज लाइफ जीवन का वह समय है जहाँ मौज मस्ती का बहुत स्कोप होता है साथ ही साथ नई जिम्मेदारियां भी बहुत होती हैं. अतः इस नाजूक मोड़ बहुत सोचसमझकर कदम उठाया जाना चाहिए. मस्ती करना या जीवन का आनंद उठाना अच्छी बात है लेकिन कभी भी इसकी वजह से आपकी पढ़ाई और जीवन का लक्ष्य बाधित नहीं होना चाहिए. मस्ती कीजिये लेकिन एक सीमा में. माता-पिता बेफिजूल चिंतित न हो इस भावना से थोड़ा बहुत झूठ बोलना तर्कसंगत है लेकिन बेहतर भविष्य के लिए जरुरी है कि आप उन्हें अपने विश्वास में लेकर ही कोई कार्य करें, इसमें दोनों की भलाई है.
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