नए अकादमिक सेशन को लेकर अधिकतर विद्यार्थियों के मन में दुविधा होती है। जबकि सेशन नया होता है... किताबें नई होती है... दोस्त नए होते हैं ... तो उत्साह भी नया होना चाहिए। लेकिन नहीं...
उत्साह के साथ बच्चों में एक शंका होती है जो उनके दिमाग को उनके नियंत्रण से बाहर कर देती है।
कुछ ऐसी होती है दुविधा....
कैसा रहेगा नया सेशन?
कैसी होगी पढ़ाई?
कैसे करनी होगी पढ़ाई? आदि...
ऐसा दबाव सेशन की शुरुआत से लेकर सेशन खत्म होने यहाँ तक कि उसके परिणाम आने तक बना रहता है। तो इस दबाव से निजात पाने के लिए छात्र अपने दिमाग को कैसे नियंत्रित करें? आइए जानते हैं कुछ ऐसे ख़ास टिप्स जिनकी मदद से छात्र आसानी से कक्षा के शुरुआत से परिणाम आने तक के तनाव को दूर कर पढ़ाई में सफलता प्राप्त कर सकें।
नए सेशन शुरू होते ही सबसे पहले उठायें ये कदम :
पिछली क्लास में पढ़े टॉपिक्स को ठीक तरह से दोहरा लें :
जैसा की हम सभी जानते हैं कि जो भी हमने पिछली क्लास में पढ़ा है उसी से संबंधित टॉपिक्स नए सेशन में भी होते हैं बस फर्क इतना होता है कि इस बार टॉपिक्स और विस्तृत रूप में होते हैं। लेकिन इसके बावजूद छात्र तनाव में आ जाते हैं कि क्या पढ़ें और कैसे? कोशिश करें कि नए सेशन की शुरुवात से पहले पिछले सेशन के टॉपिक्स को एक बार दोहरा लें, क्यूंकि एग्जाम ख़तम होने के बाद पूरे एक महीने की छुट्टियों में जब हम किताबों और पढ़ाई से दूर होते हैं तो हमारा दिमाग पूर्ण रूप से पढ़ी हुई चीजों को भी भूलने लगता है। जिस कारण पढ़ी हुई चीज़ भी ठीक से याद नहीं रहती और नए सेशन में उससे जुड़े टॉपिक को समझने में कठिनाई होने लगती है, इसलिए हमेशा नए सेशन की शुरुवात से पहले पुराने सेशन के टॉपिक्स पर एक नज़र डाल लें| ऐसा करने से आपको खुद महसूस होगा कि नए सेशन में आपको पुराने टॉपिक से जुड़े सभी पॉइंट्स अच्छी तरह समझ आ रहें हैं।

नए सिलेबस से अच्छी तरह परिचित हो जाएँ :
नए सेशन की शुरुआत से पहले, सभी विषयों के कोर्से गाइड अच्छी तरह समझ लें, जिन्हें आप नए सेशन में पढ़ने वाले हैं। इससे आपको नए सेशन के सब्जेक्ट्स को समझने में पूरी जानकारी मिलेगी। किस विषय यस टॉपिक के लिए रेफ़रेंस बुक की आवश्यकता होगी और किसके लिए नहीं, यह भी आपको कुछ हद तक पता चल जाएगा. इससे समझ के आधार पर आप समय पर ज़रूरी अध्ययन सामग्री को व्यवस्थित कर सकेंगे।
टाइम टेबल का खास ध्यान रखें :
सेशन की शुरुआत में सबसे बड़ी चिंता का विषय होता है उचित टाइम टेबल का ना होना। विद्यार्थियों को ठीक से समझ नहीं आता कि अपना टाइम टेबल कैसे बनाएं और किस विषय को कितना समय देना उचित होगा? दरअसल अभी आपको यह तो पता नहीं होगा कि समय सारणी बनाते समय कौन से विषय को कितना समय देना चाहिए लेकिन आप अपने दिनचर्या को अतिरिक्त गतिविधियों से अलग करने के लिए एक समय सारणी तैयार कर सकते हैं जैसे- खेलना और टीवी देखना जैसी गतिविधियों के साथ-साथ पढ़ाई करने के लिए कितना समय होना चाहिए और कब।
उदाहरण के लिए: अगर आपके स्कूल की छुट्टी का टाइम रोज़ 4 बजे है, तो आपको शाम 4 बजे और रात के खाने के बीच ही समय सरणी बनानी होगी, जिसके दौरान आपको ट्यूशन क्लास, होमवर्क, खेलना, टीवी देखने आदि जैसी सभी आवश्यक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए टाइम टेबल बनाना होगा। समय सारणी बनाते समय आपको ही इस बात की पुष्टि करनी होगी कि आप किस गतिविधि में अधिक या कम समय समर्पित करना चाहते हैं, यह निश्चय पूरा आपका होगा।
पहले चरण के तनाव के बाद दूसरे चरण का तनाव छात्रों को तब होता है जब एग्जाम का समय शुरू हो जाता है|
छात्रों में तनाव के मुख्य कारक तथा इनके निवारण के कुछ खास उपाय
तनाव से रहें दूर :
ज़ाहिर है आपने पूरे साल पढ़ाई की है और एग्जाम की अच्छी तरह तैयारी भी की है | ऐसे में भला सोचिए? क्या आपको परीक्षा को लेकर किसी भी तरह का तनाव होना चाहिए? नहीं न....
फिर क्यों परेशान होना परीक्षा को लेकर। सभी छात्रों ने इससे पहले भी तो हर साल परीक्षा दी है। तो परीक्षा को लेकर हर नए सेशन में इतना भय क्यूँ होता है? इस बार की परीक्षा भी उन सभी परीक्षाओं जैसी ही है जिनको पास कर आप यहाँ तक पहुंचे हो और अगर हम बात करें बोर्ड एग्जाम की तो ये जिंदगी की कोई आखिरी परीक्षा तो नहीं होती है। इसलिए सलाह यह है की छात्र और उनके माता-पिता को इसका बहुत ज़यादा टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। बस ज़रूरत है तो जितना हो सके परीक्षा में अपना 100% देने की। बेवजह के तनाव में बिल्कुल न आएं।
रिवीजन पर रखें ध्यान :
परीक्षा के दौरान अपने आपको बिलकुल सचेत और फ्रेश रखना आपके ही हाथ में होता है। परीक्षा के दबाव व चिंता को दूर रखें। एग्जाम के समय दिनचर्या में बहुत ज्यादा बदलाव करने की जरूरत नहीं होती है। बस पढ़ाई पर थोड़ा-सा फोकस बढ़ाना होता है। एग्जाम के करीब आते ही बिलकुल न्यू चैप्टर्स को न पढ़ें बल्कि सिर्फ रिवीजन पर ध्यान दें, ताकि पढ़े हुए टॉपिक्स के कांसेप्ट और क्लीयर हो जाएं और सभी पॉइंट्स दिमाग में रहें। कोशिश यह भी करें कि सैंपल पेपर्स, गेस पेपर्स और गत वर्ष प्रश्नपत्र भी लगातार प्रैक्टिस करते रहें।
आगे की सोचें :
अक्सर ऐसा होता है कई छात्रों के कोई एक या दो पेपर ठीक न होने पर छात्र उसे लेकर लंबे वक्त तक परेशान रहते हैं। जिस कारण आगे की पढ़ाई और एग्जाम भी प्रभावित होते हैं। जबकि एक पेपर के बाद उस पेपर के बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए। उसकी जगह आपको पूरा ध्यान आगे के पेपर्स पर देना चाहिए। इसलिए पेपर खत्म होने पर यदि आपका पेपर आपके उम्मीद के मुताबिक नहीं गया है तो भी उसे भूल जाएँ और आने वाले बाकी के पेपर्स में अच्छा प्रदर्शन करने पर फोकस करें।
अब आखरी और सबसे बड़ा तनाव छात्रों को तब होता है जब एग्जाम के परिणाम का समय आता है। इस समय छात्रों में तनाव चरम सीमा पर पहुँच जाता है। परिणाम को लेकर ये तनाव स्वभाविक भी है लेकिन इस कारण डिप्रेशन में रहना या अपनी ज़िन्दगी को नुकसान पहुँचाना बिलकुल सही नहीं है। आप हमेशा सकारात्मक सोच रखें। अपने परिणाम को लेकर बिलकुल नहीं डरें क्यूंकि आपका आने वाला परीक्षा परिणाम आपका कोई आखरी परिणाम नहीं है या इस परिणाम पर आपकी पूरी सफलता आधारित नहीं है। हालांकि परिणाम आपकी जीवन की सफलता और आपकी मोटिवेशन का एक श्रोत होता है लेकिन इसका यह मतलब यह नहीं कि यह आपकी सफलता की अंतिम कुंजी है| इसलिए हमेशा अपने परिणाम को लेकर डरे नहीं बल्कि अपने परिणाम के आधार पर अपने त्रुटियों और विशेषताओं को पहचान कर आगे बढ़ें|
शुभकामनायें !!
स्कूल में फेल/ड्राप आउट के बावजूद इन लोगों ने मेहनत और जुनून के चलते जीवन में सफ़लता के शिखर को चूमा