नागरिकता संशोधन विधेयक 2015 लोकसभा में 2 मार्च 2015 को पारित हुआ. विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को भारतीय नागरिकता जैसी सुविधाएं देने के उद्देश्य से 'नागरिकता संशोधन विधेयक 2015' लाया गया. इस विधेयक द्वारा नागरिक अधिकार कानून 1955 में संशोधन होगा, जिसमें प्रवासी नागरिकों हेतु उपबंध है.
नागरिकता संशोधन विधेयक 2015 से संबंधित मुख्य तथ्य:
• नागरिकता संशोधन विधेयक 2015 के तहत ‘ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया’ (ओसीआई) और ‘पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन’ (ओसीआई) का आपस में विलय कर दिया गया.
• नागरिकता संशोधन विधेयक 2015 का मुख्य उद्देश्य यह है कि दुनिया भर में भारतीय संस्कृति एवं मूल्यों के लिए समर्पित भारतवंशी समुदाय के लोगों को मातृभूमि से जोडा जा सके.
• नए ओसीआई कार्ड धारकों को पूर्ण नगारिकों के अधिकार नहीं होंगे. उन्हें भारत में खेती की जमीन खरीदने,राजनीतिक एवं आधिकारिक पद ग्रहण करने की छूट नहीं होगी.
• पाकिस्तान एवं बांग्लादेश से अल्पसंख्यक शरणार्थियों के मामले में एक टास्क फोर्स बनाई गई है. उसकी रिपोर्ट के आधार पर ही उनसे संबंधित निर्णय लिया जाएगा.
• यद्पि भारत में दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है, लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक 2015 के पारित होने के बाद भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को लगभग भारतीय नागरिकता जैसी ही सुविधाएं मिलेंगी. यानी वे राजनीतिक भागीदारी में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन भारत में उन्हें रहने,कारोबार करने और अन्य कई मामलों में सभी सुविधाएं भारतीय नागरिकों की तरह ही मिलेंगी. उन्हें अब थानों में जाकर रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होगी. इसके तहत उन्हें वीजा लेने में आसानी होगी.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation