संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की अंतरराष्ट्रीय जांच संबंधी प्रस्ताव को 12 के मुकाबले 23 मतों से 27 मार्च 2014 को पारित किया. इस आशय का प्रस्ताव अमेरिका द्वारा किया गया. भारत सहित 12 देशों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
प्रस्ताव पारित होने के बाद अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के उच्चायुक्त नवी पिल्लई की देख-रेख में मानवाधिकार के उल्लंघन पर एक अंतरराष्ट्रीय जांच बिठाई जाएगी.
मतदान में भारत
भारत ने 47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ अमेरिका द्वारा लाये गए प्रस्ताव का समर्थन न करने और मतदान में भाग न लेने का फैसला लिया. भारत ने यह फैसला प्रस्ताव में कुछ कमियों की वजह से लिया, जबकि भारत ने पिछले दो सालों में अमेरिका के प्रस्तावों का समर्थन किया था.
मतदान से पहले हुई बहस में भारत ने अपने फैसले पर कहा कि श्रीलंका में अंतरराष्ट्रीय जांच राष्ट्रीय समप्रभुत्ता सिद्धांत के खिलाफ है. भारत का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय जांच का प्रावधान श्रीलंका में राजनीतिक स्नेह के प्रयास में बाधक हो सकते हैं.
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