सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की सुनवाई के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता यूयू ललित को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने का आदेश दिया. यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने 11 अप्रैल 2011 को दिया. पीठ ने निर्देश दिया कि इस मामले में किसी भी याचिका पर उच्चतम न्यायालय के अलावा दूसरी कोई अदालत सुनवाई नहीं करेगी और नही इस पर कोई स्थगन नहीं दिया जाना है.सुनवाई दिन प्रति दिन के आधार पर होनी है. अधिवक्ता यूयू ललित अपनी टीम में शामिल करने के लिए सीबीआई के अधिवक्ताओं के पैनल में से वकीलों का चयन कर सकते हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जांच एजेंसी (सीबीआई) ललित का सहयोग करने के लिए अपने अधिवक्ताओं को नामांकित कर सकती है.
विदित हो कि केंद्र सरकार ने इसके पहले अधिवक्ता यूयू ललित को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने पर यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि वह आवश्यक मानदंडों को पूरा नहीं करते. सीबीआई ने अपने पहले आरोपपत्र में आरोप लगाया कि राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के निजी सचिव आरके चंदोलिया, शाहिद उस्मान बलवा और संजय चंद्रा ने स्वान टेलीकॉम और यूनीटेक ग्रुप जैसी कंपनियों के पक्ष में स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए प्रक्रिया से छेड़छाड़ का षडयंत्र रचा था.
आरोप पत्र में मुंबई स्थित डीपी रियल्टी के निदेशक और एटीसलाट डीबी के प्रमोटर विनोद गोयनका, गुड़गांव स्थित रियल इस्टेट कंपनी यूनीटेक और यूनीटेक वायरलेस (तमिलनाडु) प्रा. लि के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा, मुंबई स्थित रिलायंस टेलीकॉम कंपनी के जीएमडी गौतम दोषी तथा इसी कंपनी के दो वरिष्ठ उपाध्यक्षों हरी नायर तथा सुरेंद्र पिपारा के नाम भी हैं.
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