WHO और UNICEF का बड़ा बयान: विशेष रूप से बच्चों के लिए हानिकारक वायु प्रदूषण
12वें द्विवार्षिक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) के अनुसार, 168वें स्थान के साथ भारत अपने पड़ोसियों से भी बदतर स्थिति में है.

देश भर के कई शहर इस समय वायु गुणवत्ता में गंभीर गिरावट से जूझ रहे हैं. जबकि वायु प्रदूषण, सामान्य रूप से, स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, यह बच्चों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और UNICEF जैसे अंतर्ऱाष्ट्रीय निकायों के अनुसार, किसी भी किस्म के प्रदूषक बच्चों पर सबसे अधिक हमला करते हैं क्योंकि उनके शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं.
वायु प्रदूषण के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी
(1.) WHO के अनुसार, एक बच्चे के फेफड़े, जो एक ऐसे क्षेत्र में रह रहे हैं, जहां वायु प्रदूषण काफी गंभीर है, हो सकता है कि जब तक वह वयस्क न हो जाए, तब तक उसके फेफड़े ठीक से काम न करें. फेफड़े कमजोर होने के कारण ऐसे बच्चों को बड़े होने पर अस्थमा होने की संभावना रहती है. इस वैश्विक स्वास्थ्य निकाय की 2018 की एक रिपोर्ट यह कहती है कि, 15 वर्ष से कम आयु के लगभग 93 प्रतिशत लोग जहरीली हवा में सांस लेते हैं.
(2.) इस बीच, यूनिसेफ/ UNICEF ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह कहा है कि, बच्चे प्रदूषित कणों का सेवन वयस्कों की तुलना में दो या तीन गुना अधिक करते हैं. इस एजेंसी के अनुसार, ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे बड़ों की तुलना में तेजी से सांस लेते हैं. एक वयस्क एक मिनट में 12 से 18 बार सांस लेता है, जबकि बच्चे इतने ही समय में 20 से 30 बार सांस लेते हैं. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, 60 सेकेंड में 30 से 40 बार सांस लेने वाले शिशुओं में गति और भी तेज होती है. इसके साथ ही, यूनिसेफ के अनुसार, जहरीली हवा के कारण भारत सहित दक्षिण एशिया में हर साल लगभग 130,000 बच्चों की मौत हो जाती है.
(3.) 2.5 मैक्रोन के आकार के पार्टिकुलेट मैटर (PM), छोटे वायु प्रदूषकों में से हैं जो एक बच्चे के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और उस बच्चे के फेफड़ों, आंखों और मस्तिष्क जैसे अंगों को प्रभावित कर सकते हैं.
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(4.) एक अन्य र्यावरण संगठन ग्रीनपीस के आंकड़े यह बताते हैं कि वर्ष, 2020 में दिल्ली में लगभग 57,000 असामयिक मौतें हुईं, जिसके लिए वायु प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इसके अलावा, WHO की एक रिपोर्ट से यह पता चलता है कि, भारत की हवा में PM2.5 की सांद्रता स्वीकार्य से पांच गुना अधिक है.
(5.) इस सूची में कुल 180 देश शामिल हैं और 12वें द्विवार्षिक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) में यह दिखाया गया है कि, इन सभी में से भारत (168) ने अपने पड़ोसी देशों श्रीलंका (109), पाकिस्तान (142), नेपाल (145) और बांग्लादेश (162) की तुलना में काफी खराब प्रदर्शन किया है, अन्य सभी की वायु गुणवत्ता बेहतर है.
(6.) इस सूचकांक के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका (24), इज़राइल (29), रूस (58), सऊदी अरब (90) और चीन (120) ने भी भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है.
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