मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2018 को स्वीकृति दी गई

विधेयक में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल में संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि इसे अन्य आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल के अनुरूप बनाया जा सके.

Apr 5, 2018, 12:12 IST
Union Cabinet approves Protection of Human Rights (Amendments) Bill, 2018
Union Cabinet approves Protection of Human Rights (Amendments) Bill, 2018

देश में मानव अधिकारों के बेहतर संरक्षण और संवर्धन के लिए 04 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2018 को स्वीकृति प्रदान की गई.

संशोधन विधेयक की प्रमुख विशेषताएं

•    विधेयक में आयोग के मानित सदस्य के रूप में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को शामिल करने का प्रस्ताव है.

•    विधेयक आयोग के गठन में एक महिला सदस्य को जोड़ने का प्रस्ताव करता है.

•    विधेयक राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष पद के लिए पात्रता और चयन के दायरे को बढ़ाने का प्रस्ताव करता है.

•    विधेयक में केन्द्र शासित प्रदेशों में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों को देखने के लिए एक व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है.

•    विधेयक में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल में संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि इसे अन्य आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल के अनुरूप बनाया जा सके.

 

संशोधन विधेयक के लाभ

इस संशोधन से भारत में मानव अधिकार संस्थानों को मजबूती मिलेगी और संस्थान अपने दायित्वों और भूमिकाओं तथा जिम्मेदारियों का कारगर निष्पादन कर सकेंगे. इतना ही नहीं, संशोधित अधिनियम से मानवाधिकार संस्थान जीवन, स्वतंत्रता, समानता तथा व्यक्ति के सम्मान से संबंधित अधिकारों को सुनिश्चित करने में सहमत वैश्विक मानकों का परिपालन करेंगे.

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम. 1993 में संशोधन से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) तथा राज्य मानव अधिकार आयोग (एसएचआरसी) कारगर तरीके से मानव अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन करने के लिए अपनी स्वायत्तता, स्वतंत्रता, बहुलवाद तथा व्यापक कार्यों से संबंधित पेरिस सिद्धांत का परिपालन करेंगे.

पेरिस मानवाधिकार सिद्धांत

संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों के प्रोत्साहन और संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसके परिणामस्वरूप मार्गनिर्देशक तत्वों का एक प्रारूप तैयार किया गया. इसे संयुक्त राष्ट्र संघ मानव अधिकार परिषद द्वारा वर्ष 1992 में पेरिस सिद्धांत नाम से अनुमोदित किया गया. पेरिस सिद्धांत विश्व भर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोगों के विकास हेतु केन्द्रीय बिंदु बन गये हैं. यह सिद्धांत राष्ट्रीय मानवधिकार संस्थाओं के तीन प्रमुख क्षेत्रों से संबंध रखते हैं जिनमें स्वायत्तता और उत्तरदायित्व, रचना और कार्यसंचालन की विधियां तथा व्यक्तिगत शिकायतों के निपटान की क्षमता शामिल हैं.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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