02 फरवरी, 2021 को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की दूसरी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट उत्पादन लाइन का उद्घाटन किया.
रक्षा मंत्री ने यह कहा कि, इस महामारी के बावजूद, HAL को सशस्त्र बलों से 48,000 करोड़ रुपये के आदेश मिले. स्वदेशी रक्षा खरीद के मामले में यह सबसे बड़ी खरीद है जो भारतीय एयरोस्पेस क्षेत्र को नई ऊंचाइयां प्रदान करेगी.
यह नई सुविधा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 16 LCA का सालाना उत्पादन करने में मदद करेगी और पूरे देश में 5,000 प्राथमिक और माध्यमिक नौकरियां पैदा करने में भी यह आदेश मदद करेंगे.
Inaugurated the HAL's new LCA-Tejas Production Line in Bengaluru today. Under the ‘Aatmanirbhar Bharat Abhiyan’ India is looking forward to increase its defence manufacturing capabilities. India cannot remain dependent on other countries for its defence. @HALHQBLR pic.twitter.com/7HCmYnjp1P
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) February 2, 2021
स्वदेशी LCA निर्यात की योजनाएं
स्वदेशी कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए HAL को सभी समर्थन प्रदान करने का आश्वासन देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने यह कहा कि, उन्हें उम्मीद है कि, HAL निर्धारित समय के भीतर 83 LCA मार्क 1 ए प्रदान करेगा और अन्य मैत्रीपूर्ण देशों को LCA निर्यात करने की भारत की महत्वाकांक्षा को पूरा करने में सक्षम होगा.
इस उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय रक्षा मंत्री ने यह कहा कि, उन्हें यह भी सूचित किया गया है कि तेजस एम 1 ए की खरीद में कई देशों ने अपनी रुचि व्यक्त की है. वैश्विक हित के बारे में बात करते हुए, उन्होंने HAL को आश्वासन दिया कि वे बहुत जल्द अन्य देशों से आदेश प्राप्त करेंगे.
राजनाथ सिंह ने तेजस की सराहना की और यह कहा कि, यह न केवल स्वदेशी है बल्कि विभिन्न मापदंडों पर इसके विदेशी समकक्षों की तुलना में बहुत बेहतर है, जिसमें रडार सिस्टम, इंजन क्षमता, हवा से हवा में ईंधन भरने सहित रखरखाव शामिल है, उन्होंने यह भी कहा कि, यह तुलनात्मक रूप से सस्ता भी है.
रक्षा में मेक इन इंडिया के लिए को बढ़ावा
बढ़ावा देने की इस प्रमुख प्रक्रिया के तहत, 13 जनवरी, 2021 को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट समिति - CCS ने स्वदेशी रक्षा खरीद के लिए बड़े पैमाने पर समझौते को अपनी मंजूरी दे दी थी. इस सौदे की लागत 83 तेजस मार्क 1 ए फाइटर जेट की खरीद के लिए 48,000 करोड़ रुपये है.
केंद्रीय रक्षा मंत्री के अनुसार, अगले 3-4 वर्षों में, रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में भारत 1.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम होगा.
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