केंद्र सरकार ने 03 अगस्त 2020 को एक बयान में यह स्पष्ट किया है कि, भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले किसी भी देश की इकाई को वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए कोई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) करने के लिए सरकारी प्रक्रिया से गुजरना होगा.
सरकार के इस बयान में यह स्पष्ट किया गया है कि, वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए कोई भी FDI लागू कानूनों के अधीन है, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा जारी वर्ष 2020 का प्रेस नोट 3 भी शामिल है. इन कानूनों के अनुसार, किसी ऐसे देश की इकाई, जो भारत के साथ भूमि सीमा साझा करता है, या जहां भारत में निवेश करने वाला और उस निवेश का लाभ हासिल करने वाला मालिक रहता है, या ऐसे किसी भी देश का नागरिक है, केवल सरकारी मार्ग/ प्रक्रिया के तहत निवेश कर सकता है.
इस बयान में आगे यह भी कहा गया है कि, एक पाकिस्तानी नागरिक या पाकिस्तान में स्थित किसी इकाई के मामले में, वह व्यक्ति या इकाई रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और विदेशी निवेश के लिए निषिद्ध क्षेत्रों और गतिविधियों के अलावा, अन्य सभी क्षेत्रों और गतिविधियों में भारत सरकार की मंजूरी हासिल करने के बाद ही निवेश कर सकते हैं.
इस संबंध में निविदा दस्तावेज के लिए भारत सरकार ने एक शुद्धिपत्र जारी किया है.
पृष्ठभूमि
वर्ष 2019 में भारत सरकार ने प्रेस नोट 4 को जारी करके, हाल ही में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) नीति, 2017 में संशोधन किया था ताकि संबद्ध प्रसंस्करण अवसंरचना सहित कोयला खनन गतिविधियों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी जा सके.
कोल माइंस (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों और खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के अनुसार समय-समय पर कोयले की बिक्री करने की अनुमति दी गई है और इस विषय पर अन्य संबंधित अधिनियमों में समय-समय पर संशोधन किया गया है.
यह भारत में वाणिज्यिक कोयला खनन शुरू करने के लिए कोयला खानों की मौजूदा नीलामी प्रक्रिया के अनुरूप है. केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा जून, 2020 में वाणिज्यिक कोयला-खनन की घोषणा की गई थी. केंद्र सरकार द्वारा भारत को आत्मनिर्भर और वैश्विक बाजार में अग्रणी कारोबारियों में से एक बनाने के लिए बड़े पैमाने पर घोषित ‘आत्मानिभर भारत पैकेज’ के तहत केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा यह घोषणा की गई थी.
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