केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 अप्रैल को न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) से कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में आपातकालीन सुविधा को 10 बिलियन अमरीकी डालर तक बढ़ाने का अनुरोध किया है. वित्त मंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एनडीबी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की 5वीं वार्षिक बैठक में भाग लिया.
इस बैठक में, निर्मला सीतारमण ने कोविड -19 महामारी से निपटने के लिए ब्रिक्स देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर एनडीबी के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने इस स्वास्थ्य संकट को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों की भी रूपरेखा के बारे में भी इस बैठक में जानकारी दी.
मुख्य विशेषताएं:
• केंद्रीय वित्त मंत्री ने ब्रिक्स देशों को 5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वित्तीय सहायता तेजी से प्रदान करने पर एनडीबी के प्रयास की भी सराहना की. इस वित्तीय सहायता में भारत को प्राप्त 1 बिलियन अमरीकी डालर की आपातकालीन सहायता भी शामिल है.
• निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंक के पास 10 बिलियन अमरीकी डालर तक सहायता बढ़ाने की वित्तीय क्षमता है.
• इस बैठक में चर्चा के दौरान, उन्होंने भारत में क्रियान्वित किये गए वित्तीय उपायों के बारे में भी बात की जिसमें नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2 बिलियन अमरीकी डालर का आवंटन शामिल था.
• केंद्रीय वित्त मंत्री ने जी - 20 फोरम में अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (आईएफएस)/ बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) के साथ शामिल होने के लिए एनडीबी को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया.
• हमारी वित्त मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि एनडीबी को नवीन क्रियाकलापों का पालन करना चाहिए जो ब्रिक्स राष्ट्रों को उनके सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सहायता करेंगे.
• न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) ने भारत में अब तक 4,183 मिलियन अमरीकी डालर की 14 परियोजनाओं को मंजूरी दी है.
न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) के बारे में:
न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी), जिसे पहले ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक के नाम से जाना जाता था, की स्थापना वर्ष 2014 में ब्रिक्स राज्यों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा स्थापित की गई थी.. इसका मुख्यालय शंघाई, चीन में है और इसका पहला क्षेत्रीय कार्यालय जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में है.
इस बैंक की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ब्रिक्स में स्थायी विकास और बुनियादी संरचना परियोजनाओं के साथ-साथ अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के लिए संसाधन जुटाना था.
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