केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) भारतीय शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। बोर्ड अप्रैल 2026 से अपना नया 'ग्लोबल करिकुलम' लागू करने की तैयारी कर रहा है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय छात्रों को वैश्विक मानकों के अनुरूप तैयार करना है।
ग्लोबल कोर्स कैसे होगा?
- ग्लोबल करिकुलम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक एक व्यापक रिफॉर्म प्लान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य छात्रों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी सीखने का अनुभव प्रदान करना है।
- नये करिकुलम में STEM, एआई, स्किल एजुकेशन को ध्यान में रखा गया है।
- अभी दूसरे बोर्ड से जुड़े स्कूल भी सीबीएसई के ग्लोबल करिकुलम के लिए आवेदन कर सकेंगे।
- नये ग्लोबल करिकुलम में कुछ हिस्सा सीबीएसई के लोकल करिकुलम का भी होगा। इससे एनसीईआरटी करिकुलम और इंटरनेशनल करिकुलम के बीच बेहतर तालमेल होगा।
क्या है सीबीएसई “ग्लोबल करिकुलम” 2026?
यह एक ऐसा फ्रेमवर्क है, जो भारतीय संस्कारों और मूल्यों को आधुनिक वैश्विक शिक्षण पद्धतियों के साथ जोड़ता है। इसका उद्देश्य छात्रों को रटने के बजाय 'कॉम्पिटेंसी बेस्ड लर्निंग' की ओर ले जाना है।
“ग्लोबल करिकुलम” की मुख्य विशेषताएं
- ग्लोबल स्टैंडर्ड: यह करिकुलम अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मानकों (जैसे IB या IGCSE) के समकक्ष होगा।
- स्थानीय संदर्भ: विदेशों में पढ़ रहे छात्रों के लिए वहां की संस्कृति और स्थानीय परिवेश को सिलेबस में जगह दी जाएगी।
- कौशल विकास: इसमें AI, डेटा साइंस और कोडिंग जैसे विषयों पर विशेष जोर दिया जाएगा।
ग्लोबल करिकुलम के मुख्य स्तंभ
| स्तंभ | डिटेल्स |
| योग्यता आधारित शिक्षा | परीक्षा केवल याददाश्त की नहीं, बल्कि ज्ञान के व्यावहारिक उपयोग की होगी। |
| डिजिटल साक्षरता | आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल नैतिकता को मुख्य विषयों में शामिल किया जाएगा। |
| दो बार बोर्ड परीक्षा | 2026 से कक्षा 10वीं के छात्रों को साल में दो बार परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा। |
| ओपन बुक असेसमेंट | छात्रों की तर्क क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ विषयों में 'ओपन बुक' परीक्षा का प्रयोग किया जाएगा। |
विदेशों में रह रहे भारतीय छात्रों को होगा बड़ा फायदा
वर्तमान में दुनिया के 25 से अधिक देशों में सीबीएसई के 250 से ज्यादा स्कूल चल रहे हैं। नया ग्लोबल करिकुलम इन स्कूलों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा:
- वैश्विक मान्यता: सीबीएसई के प्रमाण पत्र दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में और अधिक आसानी से स्वीकार किए जाएंगे।
- सांस्कृतिक जुड़ाव: विदेशों में रहते हुए भी बच्चे भारतीय मूल मूल्यों से जुड़े रहेंगे।
- शिक्षकों का प्रशिक्षण: इसके लिए शिक्षकों को विशेष अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
CBSE इंटरनेशनल 2010 में आया
CBSE इंटरनेशनल (CBSE-I) 2010 में लाया गया था, जिसमें स्किल बेस्ड और ग्लोबल अप्रोच को ध्यान में रखते हुए करिकुलम तैयार किया गया था। उस समय भी कोर्स को भारत और विदेशों में उन छात्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया था, जो मूल भारतीय मूल्यों को बनाए रखते हुए एक अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य वाला करिकुलम चाहते थे।

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