केंद्र सरकार ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा की जगह जॉइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया है. सरकार ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच चरम पर विवादों के बाद एजेंसी के दोनों निदेशकों को छुट्टी पर भेज दिया है.
एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से सीबीआई के डायरेक्टर पर की जिम्मेदारियां और कार्यभार संभालने के लिए कहा गया है. देश की इस शीर्ष जांच एजेंसी के इतिहास में यह पहला ऐसा मामला है.
एम नागेश्वर राव के बारे में:
एम नागेश्वर राव तेलंगाना के वारंगल जिले के रहने वाले हैं. वह ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस (IPS) अधिकारी हैं.
वह ओडिशा पुलिस (रेलवे) में एडिशनल डायरेक्टर रह चुके हैं. उन्होंने ओसमानिया यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने आईआईटी मद्रास से रिसर्च किया था.
सीबीआई मुख्यालय में आने के बाद नागेश्वर राव पर ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों की जिम्मेदारी रही है.
राष्ट्रपति पुलिस मेडल सहित कई पुरस्कार से सम्मानित
अपनी बेहतरीन सेवाओं के लिए नागेश्वर राव राष्ट्रपति पुलिस मेडल, विशेष कर्तव्य मेडल और ओडिशा गवर्नर मेडल से सम्मानित हो चुके हैं.
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग:
वह पहले ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने वर्ष 1996 में जगतसिहंपुर जिले में हुए एक बलात्कार के मामले का पता लगाने के लिए क्राइम इन्वेस्टिगेशन में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया था. क्राइम ब्रांच में उनका अहम योगदान है.
उग्रवाद के खिलाफ राव:
मणिपुर में सीआरपीएफ के डीआईजी (ऑपरेशन्स) के पद पर रहते हुए उग्रवाद के खिलाफ नागेश्वर राव के कार्य को काफी सराहना मिली. कोलकाता में नक्सलियों के खिलाफ वर्ष 2008 में लालगढ़ ऑपरेशन में भी राव की मुख्य भूमिका रही. वर्ष 2008 में कंधमाल हिंसा के दौरान इलाके में व्याप्त तनाव को दूर करने में तत्कालीन सीआरपीएफ आईजी के रूप में भी राव ने अहम भूमिका निभाई.
नागेश्वर राव ने सीबीआई के मुख्यालय में छापेमारी की:
नागेश्वर राव ने 24 अक्टूबर 2018 को कार्यभार संभालते ही सीबीआई के मुख्यालय में छापेमारी की. इसके साथ ही दो और अधिकारियों के खिलाफ ऐक्शन लिया गया है. मनीष सिन्हा और एके शर्मा नाम के दो अधिकारियों को भी हटाया गया है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर ही सीबीआई के खिलाफ ये बड़ी कार्रवाई की गई है.
मामला क्या है?
गौरतलब है कि एजेंसी ने राकेश अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में 21 अक्टूबर 2018 को एफआईआर दर्ज की थी. कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है. अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया. राकेश अस्थाना की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. घूसखोरी के मामले में एफआईआर के बाद अब सीबीआई ने अस्थाना पर फर्जीवाड़े और जबरन वसूली का मामला भी दर्ज किया है.
सीबीआई ने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया है। सीबीआइ द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने याचिका में सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) |
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है. यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है. यह कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधीन कार्य करती है. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो की उत्पत्ति भारत सरकार द्वारा वर्ष 1941 में स्थापित विशेष पुलिस प्रतिष्ठान से हुई है. |
निलंबित डीएसपी देवेंद्र कुमार सात दिन की रिमांड पर:
मीट कारोबारी से तीन करोड़ रुपये रिश्वत के मामले में आरोपित सीबीआइ के निलंबित डीएसपी देवेंद्र कुमार को पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत ने सात दिन की सीबीआइ रिमांड पर भेज दिया है.
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