भारतीय वायु सेना (IAF) ने 8000 करोड़ रुपये की तीन बड़ी अधिग्रहण परियोजनाओं को रोकने का निर्णय लिया है क्योंकि केंद्र सरकार ने स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने का अनुरोध किया है.
इन परियोजनाओं में ब्रिटेन से 20 अतिरिक्त हॉक प्लान खरीदने की योजना, 38 पिलाटस बेसिक ट्रेनर विमान और संयुक्त राज्य अमेरिका के इंजनों के साथ 30 जगुआर लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की योजना शामिल थी. वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने बताया कि वे अपनी इन नियोजित परियोजनाओं को आगे नहीं बढ़ायेंगे और फिलहाल मेक इन इंडिया सहित विभिन्न कारणों से इन योजनाओं को रोक दिया गया है.
मुख्य विशेषताएं
• वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने 18 मई को सूचित किया कि सेना अतिरिक्त पिलाटस बेसिक ट्रेनर विमान खरीदने की अपनी इस योजना को अब आगे नहीं बढ़ेगी.
• अतिरिक्त हॉक (ट्रेनर विमान) खरीदने की भी योजना थी लेकिन फिलहाल इस खरीद को भी रोक दिया गया है.
• एक अन्य जगुआर रि-इंजनिंग योजना भी थी जो पूरी तरह से आयात पर निर्भर थी, लेकिन वायु सेना ने इस परियोजना को भी रोकने का फैसला किया है. इस योजना के तहत जगुआर लड़ाकू विमानों को अमेरिका के हनीवेल कॉर्पोरेशन के नए इंजनों से लैस किया जाना था.
• 20 अतिरिक्त हॉक विमानों का सौदा, जिनकी कीमत लगभग 2000 करोड़ रुपये है, यह परियोजना मुख्य रूप से इन विमानों की कीमत के कारण ही 3-4 साल से अटकी हुई थी.
भारतीय वायुसेना मेक इन इंडिया का समर्थन करती है:
भारतीय वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा कि सेना अपनी विमान संबंधी योजना और इंजन से संबंधित कुछ अन्य उन्नयन के लिए भी एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) की मदद लेगी जिनके माध्यम से वायु सेना का तकनीकी विकास होगा.
उन्होंने आगे बताया कि स्विट्जरलैंड से लगभग 1000 करोड़ रुपये लागत के 38 अतिरिक्त पिलाटस बेसिक ट्रेनिंग विमान प्राप्त करने की योजना को भी रद्द कर दिया गया है क्योंकि एचएएल पहले से ही एचटीटी - 40 ट्रेनर विमान तैयार करना का काफी काम पूरा कर चुका है. सेना प्रमुख ने आगे कहा कि सेना ये 70 मेड इन इंडिया विमान खरीदेगी.
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