विश्व बैंक ने 23 अप्रैल 2018 को जारी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2017 में विदेश में बसे भारतीयों ने अपने घर-परिवार के लोगों को 69 अरब डॉलर भेजे (remittance) जो इससे पिछले वर्ष की अपेक्षा 9.9 प्रतिशत अधिक है.
भारत में भेजी गई यह धनराशि पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है लेकिन वर्ष 2014 में प्राप्त हुए 70.4 अरब डॉलर की तुलना में कम है. उल्लेखनीय है कि रेमिटेंस अर्थात् विदेश से भेजा गया धन कमज़ोर अर्थव्यवस्था वाले देशों को मजबूती देता है.
विश्व बैंक रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
• भारत के बाद दूसरे स्थान पर चीन है जिसने 64 बिलियन डॉलर का रेमिटेंस किया है.
• इसके बाद क्रमशः फिलीपिंस 33 बिलियन, मेक्सिको 31 बिलियन के साथ क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर रहें है.
• पाकिस्तान 20 बिलियन और बांग्लादेश 13 बिलियन के रेमिटेंस के साथ सामान्य रहे जबकि श्रीलंका में 0.09 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है.
• छोटे और मध्य इनकम वाले देशों ने 466 बिलियन डॉलर का आंकड़ा छुआ जो कि पिछले साल 2016 के 429 बिलियन से 8.5 प्रतिशत ज्यादा है.
• वैश्विक स्तर पर उच्च आय वाले देशों ने भी 7 प्रतिशत कि बढ़त हासिल की है.
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विश्व बैंक रिपोर्ट के सुझाव
विश्व बैंक के अनुसार रेमिटेंस में उम्मीद से ज्यादा बढ़त के पीछे यूरोप, रूस और अमेरिका में तेजी से बढ़ी विकास दर है, यूरो, रूबल में आई मजबूती और बढ़ी हुई तेल की कीमतों के कारण रेमिटेंस में उछाल देखने को मिला है. रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा है कि 2018 में रेमिटेंस दर मध्य आय वाले देशों में 4.1 फीसदी से बढ़कर 485 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. विश्व स्तर पर यह 642 बिलियन डॉलर के साथ 4.6 प्रतिशत तक बढ़ सकती है.
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