मेघालय से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून (AFSPA अथवा अफस्पा) को पूरी तरह हटा लिया गया, जबकि अरुणाचल प्रदेश में यह असम सीमा से लगे आठ थाना क्षेत्रों और पड़ोसी म्यांमार से लगे तीन जिलों में लागू रहेगा.
गृह मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार पिछले साल 2017 में मेघालय में उग्रवाद की सबसे कम घटनाएं हुई हैं. चार साल से हिंसा में लगातार गिरावट जारी है. ऐसा दो दशकों में पहली बार देखने को मिला है. वर्ष 2000 की तुलना में 2018 में 85 प्रतिशत कम हमले हुए जिसके कारण अफस्पा की आवश्यकता नहीं रह गई थी.
सितंबर 2017 तक मेघालय के 40 फीसदी क्षेत्र में अफस्पा लागू था जिसे धीरे-धीरे कम करते हुए इसे पूरी तरह हटा दिया गया है. अफस्पा अब अरुणाचल प्रदेश के केवल आठ पुलिस स्टेशनों में ही लागू है, जबकि 2017 में यह 16 थानों में प्रभावी था.
एक अन्य फैसले में गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के लिए आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत मदद राशि 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है. यह नीति 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी.
उत्तर पूर्व में हिंसक घटनाएं
वर्ष | हिंसक घटनाएं | मारे गये लोगों की संख्या |
2000 | 1963 | 907 |
2014 | 824 | 212 |
2016 | 484 | 48 |
2017 | 308 | 37 |
अफस्पा (AFSPA) क्या है?
सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून 1958 (AFSPA), उत्तर भारत में वर्ष 1990 से लगातार जारी है. इसे असम में नवम्बर 1990 में हिंसक गतिविधियों के चलते लागू किया गया था जो अभी तक जारी है. अफस्पा दरअसल एक विशेषाधिकार कानून है जिसके तहत सुरक्षा बलों को उस क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए विशेष तौर पर तैनात किया जाता है.
• अफ्सपा कानून के तहत सेना के जवानों को किसी भी व्यक्ति की तलाशी केवल संदेह के आधार पर लेने का अधिकार प्राप्त है.
• गिरफ्तारी के दौरान सेना के जवान उस व्यक्ति के घर में घुस कर संदेह के आधार पर तलाशी ले सकते हैं.
• सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर फायरिंग का भी पूरा अधिकार प्राप्त है.
• संविधान लागू किये जाने के बाद से ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ रहे अलगाववाद, हिंसा और विदेशी आक्रमणों से प्रतिरक्षा के लिए मणिपुर और असम में वर्ष 1958 में अफस्पा लागू किया गया था.
• मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस क़ानून से प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
• इस कानून का विरोध करने वालों में मणिपुर की कार्यकर्ता इरोम शर्मिला का नाम प्रमुख है, जो इस कानून के खिलाफ 16 वर्षों से उपवास पर थी.
यह भी पढ़ें: मेघालय उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में एएफएसपीए 1958 लागू करने का आदेश जारी
अफस्पा कब लागू किया जाता है?
विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषा, क्षेत्रीय समूहों, जातियों, समुदायों के बीच मतभेद या विवादों के कारण राज्य या केंद्र सरकार एक क्षेत्र को “अशांत” घोषित कर सकती हैं. राज्य या केंद्र सरकार के पास किसी भी भारतीय क्षेत्र को “अशांत” घोषित करने का अधिकार है. अफस्पा अधिनियम की धारा (3) के तहत, राज्य सरकार की राय का होना जरुरी है कि क्या एक क्षेत्र अशांत है या नहीं. यदि ऐसा नहीं है तो राज्यपाल या केंद्र द्वारा इसे खारिज किया जा सकता है. (विशेष न्यायालय) अधिनियम 1976 के अनुसार, एक बार अशांत क्षेत्र घोषित होने के बाद कम से कम 3 महीने तक वहाँ पर स्पेशल फोर्स की तैनाती रहती है.
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