भारत और अमेरिका के बीच 27 मार्च 2019 को एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं. इस समझौते के तहत दोनों राष्ट्र देश-दर-देश (सीबीसी) रिपोर्ट का आदान-प्रदान करेंगे. यह एक अंतर-सरकारी समझौता हैं. इसका प्रत्यक्ष लाभ देनों देशों में मौजूद बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मिलेगा.
इस समझौता का मुख्य उद्देश्य सीमा पार कर चोरी पर अंकुश लगाना है. इस समझौते के साथ द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण की व्यवस्था भी भारत-अमेरिका के बीच लागू हो जाएगी. इसके बाद भारत और अमेरिका के बीच ऑटोमैटिक तरीके से सीबीसी रिपोर्ट का आदान-प्रदान आसान हो जाएगा. समझौते पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन पी. सी. मोदी और भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ आई. जस्टर ने हस्ताक्षर किए.
सीबीसी रिपोर्ट क्या होती है? |
सीबीसी रिपोर्ट में किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी की देश-दर-देश सूचना होती है. सीबीसी रिपोर्ट में किसी भी एमएनई समूह की आय के वैश्विक आवंटन, अदा किए गए करों और कुछ अन्य संकेतकों से संबंधित देश-दर-देश सूचनाओं का संकलन किया गया है.इसमें किसी विशेष क्षेत्राधिकार में कार्यरत एमएनई समूह के सभी घटक निकायों की सूची है और इसके साथ ही इस तरह के प्रत्येक घटक निकाय के मुख्य कारोबार के स्वरूप का भी उल्लेख किया गया है. किसी एक वर्ष में 750 मिलियन यूरो (अथवा कोई समतुल्य स्थानीय मुद्रा) अथवा उससे अधिक का वैश्विक समेकित राजस्व अर्जित करने वाले एमएनई समूहों के लिए अपने जनक निकाय के क्षेत्राधिकार में सीबीसी रिपोर्टों को दाखिल करना आवश्यक है. भारतीय मुद्रा रुपये में 750 मिलियन यूरो की समतुल्य राशि को भारतीय नियमों के तहत 5500 करोड़ रुपये के रूप में निर्दिष्ट किया गया है. दोनों ही कर प्रशासनों द्वारा इस सूचना की बदौलत टैक्स संबंधी जोखिम का बेहतर आकलन करना संभव हो पाएगा. |
मुख्य बिंदु:
• ये सीबीसी रिपोर्ट संबंधित कर क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मूल संस्थाओं द्वारा दायर की जाती हैं.
• ये समझौता एक जनवरी 2016 को या उसके बाद संबंधित न्यायालयों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अंतिम मूल संस्थाओं द्वारा दायर सीबीसी रिपोर्टों पर लागू होगा.
• इससे अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारतीय अनुषंगी इकाइयों द्वारा सीबीसी रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर जमा करने की जरूरत नहीं होगी. इससे संबंधित इकाइयों पर अनुपालन बोझ कम होगा.
• भारत सीबीसी रिपोर्टों के आदान-प्रदान के लिए बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकरण समझौते (एमसीएए) पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुका है, जिससे 62 क्षेत्राधिकारों के साथ सीबीसी रिपोर्टों का आदान-प्रदान करना संभव हो गया है.
• विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार की रिपोर्ट का आदान-प्रदान ओईसीडी/जी20 बीईपीएस (आधार क्षरण और मुनाफे का हस्तांतरण) परियोजना की कार्रवाई साल 2013 रिपोर्ट के तहत न्यूनतम मानदंड हैं जिसकी जरूरत होती है.
भारत-अमेरिका का संबंध:
भारत और अमरीका दो ऐसे देश हैं, जिन्होंने अपने आधुनिक इतिहास के दौरान अपने संबंधों में काफ़ी उतार-चढ़ाव देखे हैं. दोनों देशों के बीच भिन्न-भिन्न सामरिक और विचारधारात्मक कारणों से समय-समय पर तनावपूर्ण संबंध रहे हैं, लेकिन परिस्थितियां बदलने पर दोनों देश एक-दूसरे के क़रीब भी आए हैं. भारत और अमरीका विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, जिनमें बहुत समानताएं हैं.
भारत और अमरीका के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ता जा रहा है और आने वाले सालों में और अधिक बढ़ने की संभावना है. इसी प्रकार भारत और अमरीका के बीच सैन्य सहयोग भी बढ़ा है. फिलहाल, अमरीका भारतीय उपमहाद्वीप में स्थिरता की वकालत करता रहा है, जिसमें कश्मीर मुद्दे पर तनाव कम करना एवं परमाणु हथियारों के प्रसार और परीक्षण का परित्याग भी शामिल है.
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