भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत (IAC) ने 04 अगस्त 2021 को अपना पहला समुद्र परीक्षण किया. यह देश में निर्मित सबसे बड़ा और जटिल युद्धपोत है. भारतीय नौसेना ने इसे देश के लिए गौरवान्वित करने वाला और ऐतिहासिक दिन बताया है.
इसी के साथ भारत उन देशों में शुमार हो गया है जिनके पास विशिष्ट क्षमता वाला स्वदेशी रूप से डिजाइन किया, निर्मित और एकीकृत अत्याधुनिक विमानवाहक पोत है. इसे 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जहाज का नाम दिया गया है.
अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत
नौसेना के अनुसार, 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' का भी ये एक नायाब नमूना है क्योंकि विक्रांत देश का अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है, जिसका निर्माण खुद भारत ने ही किया है.
भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक जहाज
भारत के पास अभी सिर्फ एक विमानवाहक जहाज ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ है. भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की बढ़ती कोशिशों के मद्देनजर अपनी संपूर्ण क्षमता महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर जोर दे रही है.
विक्रांत विमानवाहक पोत
विक्रांत विमानवाहक पोत का वजन 40,000 टन है और यह पहली बार समुद्र में परीक्षण के लिए तैयार है. इसके नाम वाले एक जहाज ने 50 साल पहले 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी.
इस विमानवाहक जहाज को अगले साल भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की संभावना है. इसे लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है. इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने निर्मित किया है.
खासियत
इसके अतिरिक्त कम्युनिकेशन सिस्टम, नेटवर्क सिस्टम, शिप डाटा नेटवर्क, गन्स, कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम इत्यादि सब स्वदेशी है. विक्रांत को बनाने में लगभग 20 हजार करोड़ का खर्चा आएगा. विक्रांत को बनाने से 50 से ज्यादा भारतीय कंपनियां और करीब 40 हजार अप्रत्यक्ष रोजगार मिल पाया है.
आईएनएस विक्रांत करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. इसमें 14 डेक यानी फ्लोर हैं और 2300 कंपार्टमेंट हैं. इस पर 1700 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं. महिला नौसैनिकों के लिए स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर में खास व्यवस्था की गई है. यहां महिला नौसैनिकों को भी तैनात किया जा सकता है. विक्रांत की टॉप स्पीड 28 नॉट्स है और ये एक बार में 7500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है.
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