केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 12 मई 2016 को राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति को मंजूरी दे दी. इस आईपीआर नीति से रचनात्मकता और नवाचार के साथ-साथ उद्यमिता तथा सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.
आईपीआर नीति के लाभ-
- इस नीति का उद्देश्य बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के बारे में समाज के हर वर्ग में जागरूकता लाना है.
- वित्तमंत्री ने कहा कि नई नीति से स्वास्थ्य देखभाल, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा.
- औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति के समन्वय, क्रियान्वयन और विकास के लिए नोडल विभाग होगा.
- बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति देश की बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण और विकास की रूपरेखा तैयार करेगी.
- इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति अपने नाम और पहचान से अपनी रचना बेच सकेगा.
- इस नीति को कारगर ढ़ंग से लागू करने के लिए क्षमता निर्माण की जरूरत है.
- आईपीआर पॉलिसी से अर्थव्यवस्था का विकास होता है और नए-नए इन्वेन्शन आते हैं, ट्रेड, कॉमर्स, बिजनेस बढ़ता है.
- अलग-अलग क्षेत्रों के लिए उनको प्रोत्साहन देने हेतु किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था को आईपीआर सिस्टम उसके कानून, उसकी इन्फोर्समेंट की मशीनरी ये हमेशा मौजूद रहनी चाहिए.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation