कान्हा टाइगर रिजर्व मार्च 2017 के अंतिम सप्ताह में भारत का पहला टाइगर रिजर्व बना जिसने आधिकारिक रूप से एक शुभंकर जारी किया. शुभंकर का नाम भूरसिंह है जो एक बारहसिंगा है.
यह कदम सख्त जमीन पर पाए जाने वाले बारहसिंगा को रिजर्व की भावना के तौर पर प्रस्तुत करने के लिए उठाया गया है. यह विलुप्त होने की संभावना से प्रजातियों को बचाने के प्रति जागरुकता भी फैलाएगा.
बारहसिंगा मध्य प्रदेश का राज्य पशु है. कान्हा टाइगर रिजर्व दुनिया का एक मात्र ऐसा स्थान है जहां हिरणों की यह प्रजाति पाई जाती है.
बारहसिंगा के बारे में:
• बारहसिंगा हिरण की एक प्रजाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है.
• उत्तरी और मध्य भारत में इनकी आबादी बिखरी हुई है और दक्षिणपश्चिम नेपाल में दो अलग प्रकार प्रजाति पाई जाती है. पाकिस्तान एवं बाग्लादेश में यह प्रजाति विलुप्त हो गई है.
• यह प्रजाति सभी भारतीय हिरण प्रजातियों से सींग के मामले में अलग होती है. इनमें तीन से अधिक सींग होते हैं. इस विशिष्टता के कारण प्रजाति को बारहसिंगा कहा जाता है यानि "बारह सींग वाला".
• संरक्षित क्षेत्र के बाहर और इनके मौसमी पलायन के कारण इन पर सींगों और मांस के लिए शिकार किए जाने का खतरा होता है.
• इन्होंने अपने ज्यादातर पूर्व रेंज खो दिए हैं क्योंकि जलमय भूमि को बदल दिया गया है और कृषि हेतु उनका प्रयोग होने लगा है.
कान्हा टाइगर रिजर्व के बारे में:
• कान्हा टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है.
• कान्हा राष्ट्रीय उद्यान 1 जून 1955 को बनाया गया था. कान्हा टाइगर रिजर्व वर्ष 1973 में बना था.
• वर्तमान में, यह मंडला और बालाघाट, दो जिलों में 940 किमी से भी अधिक के क्षेत्र में फैला है.
• यहां बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुओं, स्लोथ बियर (आलसी भालू), बारहसिंगा और भारतीय जंगली कुत्तों की पर्याप्त आबादी है.
• साल और बांस के हरे– भरे जंगलों, घाल वाले मैदान और उद्यान की गुफाओं ने रुडयार्ड किपलिंग को उनके प्रसिद्ध उपन्यास जंगल बुक की प्रेरणा दी थी.
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