केंद्र सरकार ने 6 जून 2017 को कहा कि एफआईपीबी को खत्म किए जाने के बाद मंत्रालयों को एफडीआई प्रस्तावों पर आवेदन देने की तारीख से 60 दिन के भीतर निर्णय करना होगा और खारिज किये जाने की स्थिति में औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) की सहमति की आवश्यकता होगी.
इससे पहले मई 2017 में 25 साल पुराने विदेशी निवेश के बारे में परामर्श देने वाला निकाय एफआईपीबी को समाप्त कर दिया. इसका कारण एकल खिडक़ी मंजूरी के अंतर्गत तेजी से मंजूरी देकर अधिक से अधिक एफडाआई आकर्षित करने पर नजर है.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि विदेशी निवेश संवद्र्धन बोर्ड एफआईपीबी को समाप्त करने के बाद संबंधित मंत्रालयों को संबद्ध क्षेत्र में विदेशी निवेश की मंजूरी के लिए कार्य आबंटित कर दिए गए हैं.
उद्योग मंत्रालय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई प्रस्तावों के निपटान हेतु संबंधित मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा और व्यवहार में निरंतरता और रूख में एकरूपता सुनिश्चित करेगा.
विदेशी निवेश संवद्र्धन बोर्ड एफआईपीबी के पास लंबित सभी आवेदन चार सप्ताह में संबद्ध मंत्रालय को हस्तांरित किया जाएगा और एफआईपीबी के पोर्टल का जिम्मा आर्थिक मामलों के विभाग से डीआईपीपी को दिया जाएगा. लगभग 91 से 95 प्रतिशत एफडीआई स्वत मार्ग से आता है जबकि रक्षा और खुदरा कारोबार समेत केवल 11 क्षेत्रों हेतु सरकार की मंजूरी की जरूरत है.
देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वर्ष 2016-17 में 9 प्रतिशत बढक़र 43.48 अरब डॉलर रहा. एफडीआई के 5,000 करोड़ रुपए से अधिक के प्रस्ताव को पहले की तरह मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ही मंजूरी देगी.
मानक परिचालन प्रक्रिया एसओपी में जरूरत पडऩे पर एफडीआई प्रस्तावों पर अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श शामिल होगा. जिन एफडीआई आवेदनों पर संबद्ध मंत्रालय को लेकर संदेह होगा, डीआईपीपी मंत्रालय की पहचान करेगा कि आवेदन को कहां निपटाया जाना है. हालांकि जरूरत पडऩे पर संबद्ध मंत्रालय को मंत्रिमंडल की मंजूरी लेना होगा.
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