जल निकायों के संरक्षण हेतु एनजीटी का निर्देश, सभी राज्य नोडल एजेंसी बनाएं

Nov 24, 2020, 09:20 IST

नोडल एजेंसी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को समय-समय पर रिपोर्ट सौंपेगी.

NGT directs states to designate nodal agency for protection of water bodies in Hindi
NGT directs states to designate nodal agency for protection of water bodies in Hindi

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने जल निकायों के संरक्षण के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने के मद्देनजर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को एक नोडल एजेंसी नामित करने का निर्देश दिया है. नोडल एजेंसी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को समय-समय पर रिपोर्ट सौंपेगी.

एनजीटी ने निर्देश दिए कि राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों की देखरेख में नामित नोडल एजेंसी स्थिति का जायजा लेने के लिए 31 जनवरी 2021 तक अपनी बैठक आयोजित कर सकती है और आगे उठाए जाने वाले कदमों की योजना बना सकती है.

कार्यवाही के लिए अधिकारियों को निर्देश

वहीं इसकी आगे की कार्यवाही के लिए जिला अधिकारियों को भी निर्देश दिए जाएंगे. एनजीटी ने देशभर में फैली 351 से अधिक नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने हेतु एक योजना तैयार करने के लिए गठित केंद्रीय निगरानी समिति से कहा कि सभी राज्यों द्वारा समय-समय पर एक वर्ष में कम से कम तीन बार जल निकायों के पुनरुद्धार के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी करें.

निगरानी 31 मार्च 2021 तक

एनजीटी ने कहा कि पहली ऐसी निगरानी 31 मार्च 2021 तक हो सकती है. एनजीटी हरियाणा के एक याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में गुड़गांव में घाटी झील के जीर्णोद्धार के अतिरिक्त जिले 214 अन्य जलस्रोतों और फरीदाबाद में इसी तरह के जलस्रोतों का पुनरुद्धार किये जाने का अनुरोध किया गया है.

महत्व

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जल निकायों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है. यह जल उपलब्धता, माइक्रोकलाइमेट, जलीय जीवन, भूजल के पुनर्भरण और नदियों के नियमित प्रवाह को बनाए रखता है.

प्रदूषित नदी भारत में

केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड ने देश कि 323 नदियों के प्रदूषित हिस्सों कि पहचान कर सितम्बर 2018 में “रीवर स्ट्रेच्स फ़ार रिस्टोरेशन ओफ़ वाटर क्वालिटी” रिपोर्ट को प्रकाशित किया था. सीपीसीबी के अनुसार, ये नदी खंड गुजरात, असम और महाराष्ट्र राज्यों में स्थित हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार में फैली नदी इन तीन राज्यों की तुलना में कम प्रदूषित है. रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के स्वच्छ गंगा मिशन के बावजूद, गंगा के कई खंड अभी भी प्रदूषित हैं.

बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड: एक नजर में

ऑक्सीजन की वह मात्रा जो जल में कार्बनिक पदार्थों के जैव रासायनिक अपघटन के लिये आवश्यक होती है, वह बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड कहलाती है. जल प्रदूषण की मात्रा को बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड के माध्यम से मापा जाता है. परंतु बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड के माध्यम से केवल जैव अपघटक का पता चलता है साथ ही यह बहुत लंबी प्रक्रिया है. इसलिये बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड को प्रदूषण मापन में प्रयोग नहीं किया जाता है. गौरतलब है कि उच्च स्तर के बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड का मतलब पानी में मौजूद कार्बनिक पदार्थों की बड़ी मात्रा को विघटित करने हेतु अत्यधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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