केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने 23 मार्च, 2021 को लोकसभा को यह सूचित किया है कि, वर्तमान में असम के छठी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों में पंचायत प्रणाली लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने यह भी कहा है कि, असम के छठी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों में कोई पंचायत प्रणाली नहीं है और न ही इसे लागू करने का कोई प्रस्ताव है.
छठी अनुसूची क्या है?
• भारत के संविधान की छठी अनुसूची आदिवासी आबादी की रक्षा करती है और स्वायत्त प्रशासनिक परिषदों के गठन की अनुमति देकर उन्हें स्वायत्तता प्रदान करती है जो भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि और अन्य महत्त्वपूर्ण विषयों पर कानून बना सकती हैं.
• उत्तर पूर्व भारत के चार राज्यों -आसम, मेघालय, त्रिपुरा, और मिजोरम - को छठी अनुसूची के तहत आदिवासी का दर्जा प्राप्त है. कुल मिलाकर अब तक, 10 स्वायत्त परिषदें इन चार राज्यों में मौजूद हैं.
• छठी अनुसूची संविधान के अनुच्छेद 244 (2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत वर्णित की गई है.
पूर्वोत्तर में छठी अनुसूची के क्षेत्र
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा को यह भी सूचित किया है कि छठी अनुसूची के तहत चार राज्यों के निर्दिष्ट आदिवासी क्षेत्रों में निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं:
असम: बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया, नॉर्थ कछार हिल्स और कार्बी एंगलोंग
मेघालय: खासी हिल्स, जयंतिया हिल्स और गारो हिल्स
त्रिपुरा: त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र
मिजोरम: चकमा, मारा और लाई जिले
छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदों की शक्तियां
कार्यकारी और विधायी शक्तियां
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों के तहत, स्वायत्त जिला परिषदों के पास निम्नलिखित क्षेत्रों में कानून, नियम और विनियम बनाने की शक्ति है:
• ग्राम सभाओं का गठन
• गांव और नगर स्तर की पुलिसिंग
• सार्वजनिक स्वास्थ्य
• स्वच्छता
• कृषि और खेती
• जल संसाधन
• भू - प्रबंधन
• वन प्रबंध
• पारंपरिक प्रमुखों और प्रधानों की नियुक्ति
• सामाजिक रीति - रिवाज
• शादी और तलाक
• संपत्ति विरासत
• खनन और खनिज
• धन उधार देना और व्यापार
न्यायिक शक्तियां
ये स्वायत्त जिला परिषदें उन मामलों की सुनवाई के लिए अदालतें बना सकती हैं, जहां दोनों पक्ष अनुसूचित जनजाति के सदस्य हैं और अधिकतम सजा के तौर पर 05 साल से कम अवधि का कारावास हो.
कराधान संबंधी शक्तियां
ये स्वायत्त जिला परिषदें भूमि, इमारतों, वाहनों, नावों, पुलों, सड़कों, घाटों, मार्गों और स्कूलों के रखरखाव के लिए अपने क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर, शुल्क और टोल वसूल सकती हैं. ये रोजगार, आय और सामान्य कर भी लगा सकते हैं.
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