सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल 2017 को एक फैसला सुनाते हुए कहा कि टाटा पावर लिमिटेड और अडानी पावर लिमिटेड अपनी मर्जी से टैरिफ नहीं बढ़ा सकते.
इस फैसले से गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा में बिजली के टैरिफ में बढ़ोतरी नहीं हो सकेगी तथा जनता को राहत मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को रद्द करते हुए इन दोनों बिजली समूह की बिजली की दरें बढ़ाने से इनकार कर दिया.
न्यायाधीश पी सी घोष और रोहिंटन एफ नरीमन की पीठ में इलेक्ट्रिसिटी ट्रिब्यूनल के 2016 के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की गई थी. ट्रिब्यूनल ने फैसले में कहा था कि कोयले की कीमत में अप्रत्याशित वृद्धि होना बिजली कंपनियों और वितरकों के बीच बिजली उत्पादन समझौते की एक अहम कड़ी है.
टाटा और अडानी ने सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2010 के इंडोनेशिया रेगुलेशन में बदलाव का उदाहरण भी दिया. दोनों कंपनियों ने कहा कि वह अपने इलेक्ट्रिसिटी प्लांट के लिए कोयला उसी देश से मंगाते है जिसके कारण बिजली के दामों में बढ़ोतरी होनी चाहिए.
कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि हम केवल वही लाभ दे सकते हैं जो भारतीय कानून से संबंधित है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से टाटा पावर को 15 रुपये प्रति शेयर तक का झटका लग सकता है, जबकि अडानी पावर को 23 रुपये प्रति शेयर का नुकसान संभव है. टाटा पावर ने वित्त वर्ष 2013-16 के लिए 3300 करोड़ रुपये के राहत की मांग की थी. वहीं अडानी पावर ने वित्त वर्ष 2013-16 के लिए 3000 करोड़ रुपये के राहत की मांग की थी.
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