प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून 2016 में अपने प्रधानमंत्री बनने के बाद चौथी बार अमेरिका की यात्रा पर गए थे. इस बार की उनकी यात्रा पहले की तुलना में काफी गंभीर एजेंडा के साथ संपन्न हुई.
इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने भारत को एनएसजी ग्रुप की सदस्यता दिलाने के लिए काफी कूटनीतिक प्रयास किये जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिली. वहीं इस दौरे के दौरान उनकी सबसे बड़ी सफलता यह रही कि भारत को 34 देशों वाले 'मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम' में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया. इस ग्रुप में शामिल होने के बाद भारत भी दूसरे देशों को अपनी मिसाइलें बेच सकेगा. इसके साथ ही भारत अमेरिका से प्रिडेटर ड्रोन्स खरीद सकेगा.
विदित हो कि भारत ने पिछले वर्ष एमटीकेआर की सदस्यता के लिए आवेदन किया था, लेकिन तब कुछ देशों ने इसका विरोध कर दिया था. लेकिन इस बार भारतीय कूटनीति के चलते किसी भी देश ने भारत का विरोध नहीं किया है.
अन्य सफलताओं की बात करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस बार भारत को एनएसजी ग्रुप में शामिल करने के लिए मदद का वादा किया है. अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक इस बार पूरी कोशिश होगी कि भारत को परमाणु आपूर्ति समूह में सदस्यता मिल जाए. इस वर्ष इसके लिए सियोल में यह सम्मलेन होगी. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और ओबामा के बीच हुई बैठक के बाद ही भारत को 'मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम' मे सदस्यता का रास्ता साफ हुआ. इसमें शामिल होने के बाद भारत इस ग्रुप का 34वां देश होगा. इसके तहत भारत एडवांस मिसाइल भी तैयार कर सकेगा.
इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच इस बात पर भी सहमति बनी कि दोनों देश जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के सैन्य तंत्रों का इस्तेमाल कर सकेंगे. इसके साथ ही नए समझौते के तहत अमेरिका की न्यूसक्लियर एनर्जी कंपनी वेस्टिंगहाउस भारत में 6 परमाणु रिएक्टर लगाएगी.
उपरोक्त सारी बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निवर्तमान अमेरिका यात्रा की सफलता की कहानी कह रहें हैं. उनके इस दौरे में जहां भारत की एमटीसीआर में एंट्री निश्चित कर दी है वहीं एनएसजी के लिए अमेरिका का मजबूत समर्थन इसके विरोधियों के मुंह पर तमाचा है. यही नहीं, और भी ऐसे कई मुद्दों पर भारत और अमेरिका के बीच सहमति बनी जिसे भारत की वर्तमान कुटनीतिक सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए.
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