केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सदन में अपने दूसरे अविश्वास प्रस्ताव का सामना करें के लिए पूरी तरह से तैयार है. सरकारों के खिलाफ 'अविश्वास प्रस्ताव' (No Confidence Motion) कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी कई बार सरकारों के खिलाफ 'अविश्वास प्रस्ताव' लाये जा चुके है.
भारतीय संविधान में विश्वास प्रस्ताव के लिए नियमों में कोई विशेष प्रावधान नहीं है. इस तरह के प्रस्ताव को नियम 184 के तहत एक सामान्य प्रस्ताव के रूप में पेश किया जाता है.
मोदी सरकार के खिलाफ दूसरा 'अविश्वास प्रस्ताव'?
चार साल पूर्व मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव बीजेपी की पूर्व सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी द्वारा लाया गया था. विपक्ष मणिपुर जातीय हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरना चाहती है जिस कारण यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया है.
भारतीय इतिहास का 28वां अविश्वास प्रस्ताव:
भारतीय संसद में अब तक विभिन्न सरकारों के खिलाफ 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है. जिनमें से 3 अविश्वास प्रस्तावों के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है. यह 28वां अविश्वास प्रस्ताव है.
अविश्वास प्रस्ताव से पहली सरकार कब गिरी थी?
इनमें से केवल एक बार ही ऐसा हुआ था जब प्रस्ताव के पारित होने से सरकार गिर गई थी. वर्ष 1979 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिर गयी थी. यह प्रस्ताव कांग्रेस के वाई बी चव्हाण द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार के खिलाफ लाया गया था.
वर्ष 1987 में राजीव गांधी को इसका सामना करना पड़ा, जिसे उन्होंने लोकसभा में अपने भारी बहुमत के कारण साधारण ध्वनि मत से इस प्रस्ताव को हर दिया था. उनके ख़िलाफ़ पहला प्रस्ताव जसवन्त सिंह ने पेश किया था, जिसे उन्होंने 46 वोटों से हरा दिया था.
कब लाया गया था पहला अविश्वास प्रस्ताव?
वर्ष 1963 में तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ पहला 'अविश्वास प्रस्ताव' लाया गया था. यह प्रस्ताव अगस्त 1963 में आचार्य जेबी कृपलानी द्वारा लाया गया था जिसके पक्ष में केवल 62 वोट पड़े और प्रस्ताव के खिलाफ 347 वोट पड़े थे.
किन प्रधानमंत्रियों को देना पड़ा था इस्तीफा?
मोरारजी देसाई: वर्ष 1979 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिर गयी थी. यह पहला मौका था जब कोई सरकार अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिर गयी थी.
वीपी सिंह: वर्ष 1989 में बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद वीपी सिंह की सरकार भंग हो गई थी.
अटल बिहारी वाजपेई: वर्ष 1999 में, अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाली सरकार केवल एक वोट से अविश्वास प्रस्ताव जीतने से चूक गई. जिसके कारण वाजपेई जी को इस्तीफा देना पड़ा था. इससे पहले 1996 में वाजपेयी को अविश्वास प्रस्ताव से 13 दिन पहले इस्तीफा देना पड़ा था.
एच डी देवेगौड़ा: जनता दल के देवेगौड़ा 1996 में कांग्रेस के समर्थन से संयुक्त मोर्चा (United Front) नामक गठबंधन के साथ प्रधानमंत्री बने थे. हालांकि कुछ महीने बाद कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और गौड़ा सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. यह प्रस्ताव 11 अप्रैल, 1997 को पेश किया गया था और गौड़ा सरकार यह प्रस्ताव हार गयी थी.
इंदिरा ने 15 अविश्वास प्रस्तावों का सामना किया था:
स्वतंत्र भारत के इतिहास में इंदिरा गांधी को सबसे अधिक अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा था जिसमें प्रधानमंत्री के रूप में उनके 16 साल के कार्यकाल (1966-77 और 1980 से अक्टूबर 1984 में उनकी हत्या तक) के दौरान 15 प्रस्ताव शामिल थे.
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