RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 08 अप्रैल 2022 को नए वित्त वर्ष 2022-23 की पहली बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. यानी अभी भी रेपो रेट चार प्रतिशत ही रहेगा. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 08 अप्रैल को देश की मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की.
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की इस पहली मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट यानी कि नीतिगत ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा है. रेपो रेट 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत पर बरकरार है. आरबीआई ने इसी के साथ मौद्रिक नीति को लेकर अपने रुख में भी कोई बदलाव नहीं किया है तथा इसे लचीला बनाए रखा है. वहीं महंगाई दर के अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया गया है.
Monetary Policy Committee met on 6th, 7th and 8th April. Based on an assessment of the macro-economic situation and the outlook, MPC voted unanimously to keep the Policy Repo Rate unchanged at 4%: RBI Governor Shaktikanta Das pic.twitter.com/KCEsp4BnMU
— ANI (@ANI) April 8, 2022
जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटा
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा दिया है. पहले विकास दर 7.8 प्रतिशत रहने की बात कही गई थी, जिसे घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया गया है. बता दें रेपो रेट लगातार 11वें क्वार्टर में स्थिर रहा है और इसे 4 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा गया है. गौरतलब है कि RBI ने आखिरी बार 22 मई 2020 को नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव किया था.
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है. मौद्रिक नीति समिति ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट (Repo Rate) 4 प्रतिशत पर बरकरार है. ये लगातार 11वीं बार है जब आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.
रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने हेतु रिवर्स रेपो रेट ना बढ़ाने का फैसला किया गया है.
अर्थव्यवस्था के बचाव हेतु पूरी तरह से तैयार
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था नई एवं बहुत बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था बड़े विदेशी मुद्रा भंडार के कारण से संतोषजनक स्थिति में है. आरबीआई अर्थव्यवस्था के बचाव के लिए पूरी तरह से तैयार है. भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी प्रत्येक दो महीने पर पॉलिसी रिव्यू मीटिंग करती है.
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