Pandit Shivkumar Sharma passes away: देश के मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का 10 मई 2022 को निधन हो गया है. वे 84 साल के थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है. शिव कुमार शर्मा के निधन से म्यूजिक इंडस्ट्री में शोक की लहर है. उनका जाना शास्त्रीय संगीत की दुनिया में बहुत बड़ी क्षति है. उन्होंने सितार की लोकप्रियता को घर-घर पहुंचाया और संतूर को विश्वभर में अलग पहचान दिलाई.
मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shiv Kumar Sharma) पिछले लगभग छह महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे तथा लगातार उनका इलाज जारी था. शिवकुमार शर्मा को संतूर को एक लोकप्रिय वाद्ययंत्र के तौर पर स्थापित करने हेतु जाना जाता है.
पीएम मोदी ने जताया शोक
पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शोक जताया. उन्होंने लिखा कि पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से हमारी सांस्कृतिक दुनिया को बड़ा नुकसान हुआ है. उन्होंने संतूर को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया. उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा. मुझे उनके साथ अपनी बातचीत अच्छी तरह याद है. उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति संवेदना. शांति.
Our cultural world is poorer with the demise of Pandit Shivkumar Sharma Ji. He popularised the Santoor at a global level. His music will continue to enthral the coming generations. I fondly remember my interactions with him. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 10, 2022
पंडित शिवकुमार शर्मा के बारे में
पंडित शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था. उनके पिता पंडित उमादत्त शर्मा भी जाने-माने गायक थे, संगीत उनके खून में ही था.
संतूर जम्मू-कश्मीर में प्रचलित वाद्ययंत्र था, जिसे शिव कुमार शर्मा ने विश्वभर में लोकप्रिय बना दिया था. उनके निधन से शास्त्रीय संगीत की दुनिया का एक युग समाप्त हो गया है.
बता दें यह शिवकुमार शर्मा का संतूर वादन ही था कि इस वाद्य यंत्र को भी सितार एवं सरोद की श्रेणी में माना जाने लगा था.
उन्होंने बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया के साथ जोड़ी बनाई थी, जिसे संगीत प्रेमियों के बीच शिव-हरि के नाम से जाना जाता था. दोनों ने मिलकर सिलसिला, लम्हे, चांदनी जैसे कई लोकप्रिय फिल्मों हेतु संगीत दिया था.
पंडित शिवकुमार शर्मा ने मात्र 13 साल की उम्र में ही संतूर का वादन शुरू कर दिया था. उन्होंने मुंबई में साल 1955 में पहली परफॉर्मेंस दी थी.
उन्हें साल 1991 में पद्म श्री और फिर साल 2001 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था.
शिवकुमार शर्मा एवं हरिप्रसाद चौरसिया ने मिलकर कुल आठ फिल्मों के लिए साथ काम किया. इनमें से सात फिल्में यश चोपड़ा ने निर्देशित कीं.
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