अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता समिति को दिया तीन महीने का समय

May 10, 2019, 14:35 IST

अब मामले की अगली सुनवाई 15 अगस्त के बाद होगी. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ का नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने किया. इन जजों में  न्यायमूर्ति एसए बोबडे, एसए नजीर, अशोक भूषण और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे.

SC delays Ayodhya dispute hearing by 3 months
SC delays Ayodhya dispute hearing by 3 months

सुप्रीम कोर्ट में 10 मई 2019 को पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या मामले की सुनवाई की. मध्यस्थता समिति ने अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जजों को सौंपी. मध्यस्थता समिति ने सकारात्मक समाधान हेतु कोर्ट से 15 अगस्त तक का समय मांगा. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता समिति को तीन महीने (15 अगस्त तक) का और समय दिया है.

अब मामले की अगली सुनवाई 15 अगस्त के बाद होगी. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ का नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने किया. इन जजों में  न्यायमूर्ति एसए बोबडे, एसए नजीर, अशोक भूषण और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे.

मध्यस्थता कमेटी को पहले भी समय दिया गया:

कोर्ट ने 8 मार्च 2019 को कहा था कि मध्यस्थता प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरू होगी और समिति चार सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. मध्यस्थता कमेटी को इससे पहले 8 हफ्ते का समय दिया गया था लेकिन 10 मई 2019 को सुनवाई के दौरान कमेटी ने अतीरिक्त समय की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट के 8 मार्च के आदेश के बाद शुक्रवार को पहली सुनवाई हुई.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता का स्थान:

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या से लगभग सात किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में मध्यस्थता का स्थान तय किया था. कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा मध्यस्थों के ठहरने के स्थान, उनकी सुरक्षा, यात्रा सहित सभी उचित व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि कार्यवाही जल्दी शुरू हो सके.

मामला क्या है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2010 में अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा एवं राम लल्ला (राम मंदिर) के बीच बराबर बांट दिया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के 30 सितंबर 2010 के फैसले के विरुद्ध सुनवाई किया जा रहा है. कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या के विवादित स्थल को रामजन्मभूमि करार दिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गई हैं.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्‍यस्‍थता पैनल का गठन:

सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछली सुनवाई में मामले को राजनीतिक रूप से संवेदनशील मानते हुए एक मध्‍यस्‍थता पैनल का गठन किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पक्षकारों के बीच आम सहमति की कमी की कारण से तीन सदस्‍यी पैनल का गठन किया था.

इस पैनल का प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफएम कलीफुल्ला को बनाया गया था. इस समिति के अन्य सदस्यों में आध्यत्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल थे. वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू कानूनी हलकों में एक प्रसिद्ध मध्यस्थ हैं.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया निर्देश:

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि मध्यस्थता की कार्यवाही बहुत ही गोपनी तरीका के साथ होनी चाहिए जिससे उसकी सफलता सुनिश्चित हो सके. मध्यस्थों समेत किसी भी पक्ष द्वारा व्यक्त किये गए मत गोपनीय रखे जाने चाहिए और किसी दूसरे व्यक्ति के सामने इनका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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