भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI-सेबी) ने निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए नये नियमों कों जारी करने कि घोषणा की है. इन नियमों के तहत सेबी ऐसे सभी म्यूचुअल फंड के विरुद्ध कार्यवाही करेगा जिसमे डिफॉल्ट होने वाली कंपनी के प्रवर्तकों को शेयर के बदले ऋण दिया गया हो. इसके अतिरिक्त सेबी ने म्यूच्यूअल फंड हाउसेस के लिये कुछ नए और सख्त निवेश मापदंडों को भी मंज़ूरी दी है.
सेबी द्वारा उठाए गए इस कदम का मुख्य उद्देश्य उधारकर्ताओं के दिवालिया होने या घोटाला हो जाने की स्थिति में उत्पन्न होने वाले ऋण जोखिम से निवेशकों की रक्षा करना है. वर्तमान में म्यूच्यूअल फंड उद्योग एक भारी वित्तीय संकट का सामना कर रहा है जिसके लिये उन फंड प्रबंधकों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है जो ऋण योजनाओं के माध्यम से कंपनी प्रवर्तकों को उधार देते हैं. सेबी के अनुसार म्यूच्यूअल फंड बैंक नहीं होते हैं इसलिये उन्हें ऋण देने के बजाय बाज़ार में निवेश करना चाहिए.
सेबी द्वारा जारी नये नियम
• म्यूचुअल फंड अब केवल सूचीबद्ध ऋण या इक्विटी (Debt or Equity) में ही निवेश कर सकते हैं.
• नए मापदंडों के अनुसार अब से जोखिम की गणना परिशोधन के आधार पर नहीं बल्कि मार्क-टू-मार्केट आधार पर की जाएगी.
• किसी भी म्यूच्यूअल फंड को ऋण में निवेश करने के लिये चार गुना कवर प्रदान करना होगा और इसे इक्विटी द्वारा भी सुरक्षा प्रदान करनी होगी.
• इसके अतिरिक्त तरल म्यूच्यूअल फंड योजनाओं को अपनी कुल निवेश परिसंपत्ति का 20 प्रतिशत हिस्सा नकद या गिल्ट फंड के रूप में बनाए रखना होगा, जो उन्हें प्रतिदान/शोधन/मोचन में मदद कर सकता है.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी. सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर के व्यावसायिक जिले में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं. सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है. सेबी को एक गैर वैधानिक संगठन के रूप में स्थापित किया गया जिसे SEBI ACT1992 के अन्तर्गत वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है.
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