Siachen Day 2022: जानें सियाचिन दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

Siachen Day 2022: यह दिवस दुश्मन से सफलतापूर्वक अपनी मातृभूमि की सेवा करने वाले सियाचिन योद्धाओं को भी सम्मानित करता है. 

Apr 13, 2022, 13:52 IST
Siachen Day
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Siachen Day 2022: भारतीय सेना प्रत्येक साल 13 अप्रैल को सियाचिन दिवस (Siachen Day) मनाती है. विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र सियाचिन हमेशा ही आकर्षित करता रहा है. यह दिवस ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot) के अंतर्गत भारतीय सेना के साहस की स्मृति में मनाया जाता है.

यह दिवस दुश्मन से सफलतापूर्वक अपनी मातृभूमि की सेवा करने वाले सियाचिन योद्धाओं को भी सम्मानित करता है. सियाचिन वह इलाका है, जब भारतीय सेना ने साल 1984 में आज के ही दिन आपरेशन मेघदूत चलाकर पाकिस्तान के मंसूबों को बर्बाद कर दिया था.

यह दिवस क्यों मनाया जाता है?

38 साल पहले सियाचिन की बर्फीली ऊंचाइयों पर कब्जा करने हेतु अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रत्येक साल इस दिन को मनाया जाता है. यह दिन विश्व के सबसे ऊंचे एवं सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र को सुरक्षित करने में भारतीय सेना के सैनिकों द्वारा प्रदर्शित साहस और धैर्य की याद दिलाता है.

भारत की सेना ने 20,000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद सियाचिन ग्‍लेशियर पर पाकिस्‍तानी घुसपैठियों को खदेड़ कर तिरंगा फहराया था. वह भी बैसाखी का दिन था तथा प्रत्येक बैसाखी पर सेना के इसी जज्‍बे एवं जोश को सलाम करने के उद्देश्य से सियाचिन दिवस मनाया जाता है.

क्या हुआ था इस दिन?

पाकिस्तान ने साल 1984 में 33,000 वर्ग किमी तक फैले इस इलाके पर कब्‍जे की कोशिश की तथा अपने सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया. भारतीय सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए 13 अप्रैल 1984 को ऑपरेशन मेघदूत लांच किया. पाकिस्‍तान ने सियाचिन में लड़ाई के लिए सभी जरूरी सामान बहुत पहले ही यूरोप से मंगाया लिया था.

वहीं भारतीय सैनिकों को ऑपरेशन की रात से एक दिन पहले यानी 12 अप्रैल को स्‍पेशलाइज्‍ड यूनिफॉर्म एवं सारा जरूरी सामान मिला था. बता दें सियाचिन की ऊंचाई भारत की ओर से जहां कहीं ज्‍यादा है तो वहीं पाक की ओर से यह काफी कम है. इसलिए ऑपरेशन मेघदूत की सफलता को आज तक भारतीय सेना के लिए एक मिसाल करार दिया जाता है.

सियाचिन ग्लेशियर: एक नजर में

बता दें सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी पर सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान है. यहां भारत और पाकिस्तान 1984 से रुक-रुक कर लड़ते रहे हैं. दोनों देश 20,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर इस क्षेत्र में एक स्थायी सैन्य उपस्थिति बनाए रखते हैं. भारत ग्लेशियर की सुरक्षा पर रोजाना लगभग 5 से 7 करोड़ रुपये खर्च करता है. ग्लेशियर में लगभग 3000 सैनिक हमेशा ड्यूटी पर रहते हैं. हरेक सैनिक जिसे ग्लेशियर की रक्षा करने की ड्यूटी मिलती है, वे लगभग तीन महीने की सेवा करता है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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