पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने 23 अक्टूबर 2019 को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया है. वे बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष हैं. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) भी भंग हो गई.
सौरव गांगुली निर्विरोध चुने गए हैं. वे इस पद पर जुलाई 2020 तक बने रहेंगे. सौरव गांगुली के अतिरिक्त केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को बीसीसीआइ के नए सचिव के रूप में जिम्मेदारी मिली है. वहीं, बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के भाई अरुण सिंह का बोर्ड के कोषाध्यक्ष की कमान मिली है.
गांगुली का कार्यकाल सिर्फ 10 महीने का
सौरव गांगुली का कार्यकाल बीसीसीआई के अध्यक्ष के तौर पर केवल दस महीने के करीब का होगा. बीसीसीआई के नए संविधान के अनुसार उन्हें अगले साल सितंबर में तीन साल के ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ में जाना होगा. इसके अंतर्गत सौरव गांगुली अगने तीन वर्षों तक बीसीसीआई के किसी भी पद पर नियुक्त नहीं हो सकेंगे. बीसीसीआई के नए नियमों के मुताबिक, एक प्रशासक लगातार केवल छह साल तक ही अपनी सेवाएं दे सकता है.
सौरव गांगुली का क्रिकेट करियर
सौरव गांगुली बीसीसीआई के ऐसे पहले अध्यक्ष होंगे जिनके पास 400 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का अनुभव होगा. सौरव गांगुली ने अपने वनडे करियर का शुरुआत साल 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था.
सौरव गांगुली ने 49 टेस्ट और 146 वनडे मुकाबलों में भारतीय टीम की कप्तानी की है. भारत ने साल 2003 में उनकी कप्तानी में विश्वकप फाइनल भी खेला था. उन्होंने संन्यास के बाद साल 2015 में प्रशासक के रूप में अपनी पारी का शुरुआत किया और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष बने.
टेस्ट | 113 मैच | 7212 रन | 16 शतक | 35 अर्धशतक | 42.2 औसत | 32 विकेट |
वनडे | 311 मैच | 11363 रन | 22 शतक | 72 अर्धशतक | 41.02 औसत | 100 विकेट |
फर्स्ट क्लास | 254 मैच | 15687 रन | 33 शतक | 89 अर्धशतक | 41.18 औसत | 167 विकेट |
लिस्ट ए | 437 मैच | 15622 रन | 31 शतक | 97 अर्धशतक | 41.32 औसत | 171 विकेट |
ट्वेंटी-20 | 77 मैच | 1726 रन | 0 शतक | 8 अर्धशतक | 25.01 औसत | 29 विकेट |
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पृष्ठभूमि
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष पद हेतु भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने पिछले सप्ताह 14 अक्टूबर 2019 को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया था. हालांकि इस पद के लिए किसी और ने नामांकन दाखिल नहीं किया था, ऐसे में उनका इस पद हेतु निर्विरोध चुना जाना तय था.
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