रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 17 दिसंबर 2019 को ओडिशा के चांदीपुर से दो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इस मिसाइल को मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर से चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में लांच कॉम्प्लेक्स-3 से प्रक्षेपित किया गया.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को जमीन एवं हवाई प्लेटफार्मों से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. डीआरडीओ ने इसमें मिसाइल एयर फ्रेम, फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम को डिजाइन किया था. इस ब्रह्मोस मिसाइल को जमीन, समुद्र तथा आकाश तीनों जगहों से दागा जा सकता है.
दो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण
डीआरडीओ के अनुसार, सतह से सतह की मारक क्षमता का परीक्षण करने के बाद दूसरा परीक्षण एसयू -30 एमकेआई लड़ाकू विमान से किया गया. ये परीक्षण भारतीय वायुसेना ने किया. भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान ने मिसाइल को समुद्र में मौजूद लक्ष्य पर निशाना साधा. मिसाइल ने इसे बहुत ही आसानी से नष्ट कर दिया.
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत
• ब्रह्मोस मिसाइल एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है. ब्रह्मोस मिसाइल को पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है. यह मिसाइल रूस की प्रौद्योगिकी पर आधारित है.
• ब्रह्मोस मिसाइल के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है. इस मिसाइल की मारक क्षमता बहुत ही अचूक है. इस मिसाइल को डीआरडीओ लगातार अपग्रेड कर रहा है.
• ब्रह्मोस भारत एवं रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है. हवा से सतह पर मार करने में सक्षम 2.5 टन वजनी इस मिसाइल की मारक क्षमता 300 किलोमीटर है.
• ब्रह्मोस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा किसी भी मौसम में दागा जा सकता है. इस मिसाइल की मारक क्षमता सटीक है. ब्रह्मोस को भारत की ओर से डीआरडीओ तथा रूस की ओर से एनपीओएम ने संयुक्त रूप से विकसित किया है.
• ब्रह्मोस विश्व में अपनी तरह की इकलौती क्रूज मिसाइल है, जो सुपरसॉनिक स्पीड से दागी जा सकती है. इस मिसाइल को भारतीय सेना और भारतीय नौसेना को सौंपा जा चुका है.
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ब्रह्मोस मिसाइल का नाम
इस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है. इस मिसाइल की गति ध्वनि की गति से करीब तीन गुना अधिक है. यह मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक गति से लक्ष्य पर प्रहार करती है.
पृष्ठभूमि
भारतीय वायुसेना ने इससे पहले अक्तूबर महीने में अंडमान निकोबार द्वीप समूह इलाके में सतह से सतह पर मार करने वाली दो ब्रह्मोस मिसाइलें दागी गई थीं. डीआरडीओ पिछले काफी समय से ब्रह्मोस मिसाइल के परीक्षण कर रहा है. इसका कारण यह भी है कि इस मिसाइल को लगातार उन्नत बनाया जा रहा है.
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